रोशनी के बाद धुएं की दीवार: दीपावली के अगले ही दिन लखनऊ की सांसें हुईं भारी (फोटो सोर्स : Ritesh Singh )
Lucknow Pollution AQI Update: रोशनी के पर्व दीपावली के बाद राजधानी की हवा में अब रोशनी से ज्यादा धुआं और धूल के कण घुल गए हैं। जहां दिवाली की रात आसमान पटाखों से जगमगाया, वहीं अगली सुबह उसी आसमान में धुएं की चादर छा गई। दीपावली के ठीक बाद लखनऊ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 350 के पार पहुंच गया, जो “बहुत खराब (Very Poor)” श्रेणी में आता है। पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार, त्योहार के दौरान पटाखों का अत्यधिक उपयोग, बढ़ती गाड़ियों की संख्या और तापमान में हल्की गिरावट के बाद हवा का ठहराव , इन तीनों ने मिलकर राजधानी की वायु गुणवत्ता को जहरीला बना दिया है। वहीं, दिन में सूरज की तेज किरणों ने धुएं के साथ मिलकर वातावरण में अजीब-सी गर्माहट पैदा कर दी है।
दिवाली की रात शहर में उत्सव की रौनक अपने चरम पर थी। हर गली, हर मोहल्ले में पटाखों की आवाज गूंज रही थी। लेकिन सुबह होते ही यही आवाजें खामोश सांसों में बदल गईं। शहर के कई इलाकों जैसे हजरतगंज, आलमबाग, इंदिरा नगर, गोमती नगर और चौक में दृश्यता (Visibility) इतनी कम हो गई कि लोग सुबह की सैर तक नहीं कर पाए।
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक, दीपावली के अगले दिन लखनऊ का औसत AQI 362 दर्ज किया गया। गोमती नगर में यह 374, जबकि हजरतगंज में 358 रहा। यह स्थिति “गंभीर” मानी जाती है, जिसमें दिल, फेफड़ों और आंखों पर गहरा असर पड़ता है।
शहर के अस्पतालों में सांस और एलर्जी के मरीजों की संख्या में तेज बढ़ोतरी देखी गई है। राजकीय बलरामपुर अस्पताल के फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. शरद द्विवेदी बताते हैं कि दीपावली के बाद वायु में PM 2.5 और PM 10 के स्तर में पांच गुना तक वृद्धि होती है। ये सूक्ष्म कण फेफड़ों में जाकर ऑक्सीजन अवशोषण की क्षमता को कम करते हैं। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा रोगियों के लिए यह बेहद खतरनाक स्थिति है। डॉक्टरों ने नागरिकों से अपील की है कि सुबह के समय घर से बाहर निकलने से बचें, और यदि जरूरी हो तो N-95 मास्क का उपयोग करें।
आम तौर पर दीपावली के बाद राजधानी में ठंड का आगमन शुरू हो जाता है, लेकिन इस बार मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि हवा में धूल और धुआं सूर्य की गर्मी को सतह तक फंसा रहा है। इससे दिन का तापमान सामान्य से 2-3 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र (AMSC) के वरिष्ठ वैज्ञानिक मोहित श्रीवास्तव के अनुसार वायु प्रदूषण की परत जमीन के पास फंसी हुई है। इससे गर्मी बाहर नहीं निकल पा रही, जिससे तापमान में असामान्य गर्माहट देखी जा रही है। आने वाले कुछ दिनों तक हल्की हवा और बारिश ही राहत दे सकती है।
लखनऊ नगर निगम और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की संयुक्त रिपोर्ट में शहर के 5 प्रमुख प्रदूषण हॉटस्पॉट चिन्हित किए गए हैं -
इन इलाकों में पटाखों के अलावा वाहन उत्सर्जन, निर्माण कार्य और सड़क किनारे जलते कूड़े से भी प्रदूषण का स्तर और बढ़ गया है। नगर निगम ने ऐसे इलाकों में जल छिड़काव (Water Sprinkling) और मशीनरी क्लीनिंग शुरू की है, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक यह “तात्कालिक उपाय” है, स्थायी समाधान नहीं।
दीपावली से पहले ही सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी (राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण) ने ग्रीन पटाखों के इस्तेमाल का आदेश दिया था, लेकिन राजधानी में इस आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गईं। एलडीए और लखनऊ पुलिस ने कुछ जगहों पर अवैध पटाखा बिक्री के खिलाफ कार्रवाई भी की, परंतु शहर के अधिकांश इलाकों में बड़े साउंड और स्मोक वाले पटाखे खुलेआम जलाए गए। डीएम लखनऊ ने कहा कि हमें स्वीकार करना होगा कि नियमों के बावजूद लोगों ने लापरवाही की। अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नगर निगम मिलकर एयर क्वालिटी को सामान्य करने की कोशिश में जुटे हैं। जनता का सहयोग जरूरी है।”
लखनऊ के आम नागरिक अब प्रदूषण की मार महसूस करने लगे हैं। गोमती नगर निवासी प्रीति सिंह कहती हैं कि कल दीपावली की रात बच्चों ने खूब पटाखे जलाए, लेकिन आज सुबह उन्हें सांस लेने में परेशानी हो रही है। धुएं की गंध पूरे घर में फैली है। वहीं, चौक निवासी रईस अहमद, जो रोजाना साइकिल से काम पर जाते हैं, कहते हैं कि आज सड़क पर ऐसा लग रहा था जैसे कोहरा छाया हो, लेकिन वो धुआं था। आंखें जलने लगीं और सांस भारी हो गई। हालांकि नगर निगम के पर्यावरण विभाग ने बताया कि अगले कुछ दिनों में तेज हवा चलने या हल्की बूंदाबांदी से स्थिति में सुधार हो सकता है।
ये आंकड़े बताते हैं कि दीपावली के बाद लखनऊ की हवा में चार से पांच गुना अधिक प्रदूषक तत्व घुल गए हैं। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार, यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो शहर में सर्दी की शुरुआत के साथ एयर क्वालिटी “Severe” श्रेणी में पहुंच सकती है।
दीपावली खुशियों का पर्व है, लेकिन हर साल इसके बाद हवा में जहर घुलने का सिलसिला दोहराया जाता है। इस बार भी राजधानी लखनऊ की हवा ने यह साबित कर दिया कि हमारे उत्सव अब प्रकृति के लिए चुनौती बन चुके हैं। अगर अब भी हमने पर्यावरणीय जिम्मेदारी नहीं निभाई, तो आने वाले समय में दीपावली की रोशनी तो होगी, लेकिन सांस लेने के लिए साफ हवा नहीं।
Published on:
21 Oct 2025 11:51 am
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