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मुकुंदरा में तैयार हो रही ‘वन्यजीवों के रखवालों’ की फौज

कोटा के वन्यजीव प्रेमियों की अनोखी पहल, 'प्रोजेक्ट रखवाले' से जुड़ रहे देशभर के युवा, वन्यजीव अपराधों के खिलाफ कोटा बना जागरूकता का केंद्र

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Kota News

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शैलेन्द्र तिवारी

वन्यजीव अपराधों में हो रही वृद्धि, शिकार की घटनाएं और जंगलों में अनधिकृत घुसपैठ को देखते हुए कोटा के युवाओं ने 'प्रोजेक्ट रखवाले' नामक विशेष अभियान शुरू किया है। इस अभियान के तहत पगमार्क फाउंडेशन और शेर संस्था के सहयोग से देशभर के इच्छुक युवाओं को वन्यजीव संरक्षण का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य न केवल युवाओं को वन्यजीवों के प्रति जागरूक बनाना है, बल्कि उन्हें प्रशिक्षित कर संरक्षण कार्यों में सक्रिय भूमिका के लिए तैयार भी करना है। वाइल्ड लाइफ डिविजन कोटा ने हाल ही में वन्यजीव अपराधों के खिलाफ कई प्रभावी कार्रवाइयां की हैं और यह प्रशिक्षण इस दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।

13 राज्यों और यूक्रेन के प्रतिभागी भी हो चुके शामिल

इससे पूर्व मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व की जवाहर सागर रेंज में इसी प्रकार का प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था, जिसमें देश के 13 राज्यों और यूक्रेन से आए कुल 55 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। पांच दिवसीय आवासीय शिविर में युवाओं ने वन्यजीव संरक्षण से जुड़ी तकनीकी और व्यावहारिक जानकारियां प्राप्त की थी।

वन्यजीव अपराधों के पीछे है तस्करी, अंधविश्वास और शिक्षा की कमी

वन्यजीवों का मांस, खाल, दांत, नाखून और अन्य अंगों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तस्करी वन्यजीव अपराधों का मुख्य कारण है। इसके अलावा अंधविश्वास और जागरूकता की कमी भी अपराधों को बढ़ावा देती है। विशेषज्ञों का मानना है कि विद्यालय स्तर से ही वन्यजीव संरक्षण और संबंधित कानूनों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, जिससे बचपन से ही संवेदनशीलता और सजगता विकसित हो सके।

तीन दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

15 से 17 अगस्त तक भैंसरोडगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में तीन दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया। इसमें देशभर से 30 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। उन्हें विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान, केस स्टडी और फील्ड वर्क के माध्यम से प्रशिक्षित किया गया। ये प्रशिक्षित युवा अपने-अपने क्षेत्रों में वन्यजीवों के सजग रक्षक बनकर काम करेंगे।

कठोर दंडात्मक नीति बनें

ऐसे आयोजनों को सरकारी प्रोत्साहन मिलना चाहिए। वन्यजीव अपराधों पर कठोर दंडात्मक नीति बननी चाहिए, ताकि इस वैश्विक समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।

देवव्रत सिंह हाड़ा, संरक्षक, पगमार्क फाउंडेशन

आमजन को जागरूक करना जरूरी

हमारे देश में भले ही सरकारी एजेंसियां वन्यजीव अपराधों पर कार्य कर रही हैं, लेकिन जब तक आमजन को जागरूक नहीं किया जाएगा, तब तक पूर्ण संरक्षण संभव नहीं है।

डॉ. कृष्णेन्द्र सिंह नामा, संरक्षक, शेर संस्था

वन्यजीवों के संरक्षण व जागृति को लेकर तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन कर रहे हैं। इसमें वन अपराधों की रोकथाम व जंगलों में कामकाज के तरीके बताए जाएंगे।

अनुराग भटनागर, उपवन संरक्षक, वन विभाग, वन्यजीव शाखा


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