5 अगस्त 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

लुधियाना से बीमार बेटे को पालकी में लेकर एमपी की तरफ चल पड़ा लाचार पिता

लाॅकडाउन के चलते बेरोजगार हो गए श्रमिकों ने अपने घर जाने के लिए पैदल ही निकल पड़े, पालकी देख थानेदार ने सभी को रोका और भोजन करने के उपरान्त उन्हें वाहन के जरिए रवाना किया।  

लुधियाना से बीमार बेटे को पालकी में लेकर एमपी की तरफ चल पड़ा लाचार पिता
लुधियाना से बीमार बेटे को पालकी में लेकर एमपी की तरफ चल पड़ा लाचार पिता

कानपुर। लाॅकडाउन के वक्त दिहाड़ी श्रमिकों की पैदल यात्रा जारी है और हरदिन नई-नई तस्वीरें हाईवे पर देखने को मिलती है। एक ऐसी तस्वीर चेकेरी स्थित रामदेवी हाईवे पर दिखी, यहां एक पिता अपने बीमार बेटे को पालकी पर लिटाकर लुधियाना से मध्यप्रदेश की तरफ जा रहा था। प्रचंड गर्मी में पसीने से तरबतर मजूदरों पर थानाप्रभरी की नजर पड़ी तो उन्होंने सभी को भरपेट भोजन कराया और आगे जाने के लिए वाहन की व्यवस्था कराई।

सिंगरौली के निवासी
मूलरूप से मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिला निवासी राजकुमार अपने परिवार के साथ लुधियाना स्थित एक फैक्ट्री में काम करते थे। लाॅकडाउन के चलते फैक्ट्री बंद हो गई तो उनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। स्थानीय प्रशासन से मदद की गुहार लगाई लेकिन सहयोग नहीं मिला। जिसके कारणराजकुमार अपने अन्य 18 साथियों के साथ पैदल ही घर जाने का बीणा उठाया।

कड़ी मेहनत के बाद पहुंचे कानुपर
राजकुमार ने बताया कि बेटा बृजेश (15) सड़क हादसे में घायल हो गया था। उसे भी अपने वतन लेकर जाना था। कुनबे के साथियों ने बेटे को ले जाने को लेकर मंथन किया। गांव के एक साथी ने घर से चारपाई लेकर आया और उसको हमनें पालकी में तब्दील कर दिया इसमें गर्दन में चोट होने से घायल बेटे को लेटाया और निकल पड़े अपने घर की ओर। राजकुमार ने बताया कि लुधियाना से चलने के बाद कई शहरों और गांवों में हमें लोगों ने भोजन कराया पर वाहन की व्यवस्था नहीं की। कड़ी मेहनत के बाद कानपुर पहुंचे।

थानेदार ने की मदद
राजकुमार ने अनुसार परिवार और गांव वालों ने मिलाकर बारी-बारी से पालकी उठाई। सबकी मदद से हम लोग आज कानपुर पहुंच गए। चकेरी थाना प्रभारी रामकुमार गुप्ता ने उन्हें रोककर बातचीत की और खाने-पीने की व्यवस्था कराने के उपरान्त उन्हें वाहन के जरिए मध्यप्रदेश की तरफ रवाना कर दिया। इस बीच सभी श्रमिकों ने थानेदार का अभार जताते हुए आगे की तरफ बढ़ चले।