औरैया। कोतवाली क्षेत्र स्थित शनिवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ। जिसमें 26 श्रमिकों की मौत हो गई, तो वहीं 37 गंभीर रूप से घायल हो गए। जिला अस्पताल में भर्ती घायलों ने बताया कि राजस्थान पुलिस ने हमसभी को चूने से भरे ट्रक में बिठा दिया। चालक ने प्रति श्रमिक दो हजार रूपए किराया वसूला। घायलों ने आरोप लगाते हुए कहा कि यदि राजस्थान की पुलिस, बस की व्यवस्था कर देती तो शायद हमारे साथी आज जिंदा होते।
40 श्रमिक ट्राल में सवार
राजस्थान में संगमरमर की एक खदान में काम करने वाले घायल श्रमिक रितेश चैहान ने बताया कि बिहार, झारखंड और पुरुलिया (पश्चिम बंगाल) के 40 प्रवासी श्रमिक राजस्थान में नौकरी करते थे। लाॅकडाउन के कारण रोजगार छिन जाने से हमसभी के सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया। इसके बाद हमनें घर लौटने का फैसला किया। बस से एक दिन पहने हमसभी लोग भरतपुर पहुंचे । राजस्थान पुलिस ने रोक लिया और आगे नहीं जाने दिया। काफी आरजू-मिन्नत के बाद पुलिसवालों का दिल पसीजा, लेकिन उन्होंने साफ कह दिया कि किसी को बस से नहीं जाने देंगे। कुछ घंटों के इंतजार के बाद पुलिस ने हमसभी को चुने से भरे ट्राला में बिठा दिया। चालक ने प्रति श्रमिक 2000 रूपए वसूले।
चाय के चलते रोटा ट्राला
घायल श्रमिक ने बताया कि औरैया जिले में प्रवेश के बाद चालक ने चाय पीने के लिए ट्राला रोका। जो श्रमिक जग रहे थे वी नीचे उतर आए। महज पांत्र मिनट के बाद डीसीएम की सीधी टक्कर ट्राला से हो गई और फिर उनमें सवार 24 श्रमिकों की मौके पर चुने की बोरियों में दबकर मौत हो गई। श्रमिक ने बताया कि हमें भरतपुर सीमा के पास से पुलिस ने ट्राला में बैठाकर रवाना किया था। ट्राला के जरिए हम फतेहपुर सीकरी (आगरा) होते हुए पटना जा रहे थे।
---तो शायद जिंदा होते मेरे दोस्त
घायल श्रमिक ने बताया कि हम पाचों दोस्त ट्राला में बैठे थे। टक्कर के बाद मेरे चारों दोस्तों की मौत हो गई। मैं जगकर रहा तो बच गया। घायल ने बड़ा आरोप लगाते हुए बताया कि श्रमिकों के लिए राजस्थान सरकार व वहां की पुलिस-प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाए। श्रमिकों को न तो पैसा मिल रहा और न ही भोजन। मकान मालिकों ने किराया का दबाव बनाया तो सैकड़ों मजदूर पहले ही पैदल अपने-अपने राज्यों को चले गए। घायल ने कहा कि यदि वहां की सरकार ने हमारे लिए बस व ट्रेन की व्यवस्था की होती तो शायद मेरे चार दोस्त आज जिंदा होते।
दिल्ली से सागर के लिए चले
जिला अस्पताल में भर्ती घायल ने बताया कि 22 श्रमिक दिल्ली में नौकरी करते थे। रोजगार छिनने के बाद खाने के लाले पड़ गए। इसी के कारण हमनें दिल्ली के मक्खनपुर से 33 हजार रुपये में डीसीएम बुक कराई। जिसमें सागर, झांसी, छतरपुर जिले के श्रमिक सवार थे। सभी ने 15-15 सौ रुपये चंदा किया था। डीसीएम की रफ्तार तेज थी और उसकी सीधह टक्कर ट्राला से हो गई और दोनों खड्ड में जा पलटे।
इस वजह से हुई श्रमिकों की मौत
पुलिस और स्थानीय लोगों ने डेढ़ घंटे बाद जब डीसीएम हटाई तो मजदूरों को निकालने का सिलसिला शुरू हुआ। चूने की बोरियों में दबे मजदूरों के मुंह और नाक तक चूना ठुंसा मिला। मौत की वजह भी दम घुटना ही मानी जा रही है। इनमें से कुछ के मुंह से झाग भी निकल रहा था। 24 श्रमिकों की मौके पर तो दो की आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में मौत हो गई। जबकि 27 का इलाज अभी चल रहा है। वहीं 10 लोगों को जिला अस्पताल में प्राथमिक इलाज के बाद शेल्टर होम में क्वारंटाइन कराया गया है।
निलंबन के साथ एफआईआर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर शोक जताते हुए मथुरा के कोसीकलां, आगरा के फतेहपुर सीकरी तथा औरैया के अजितमल व औरैया कोतवाली के इंस्पेक्टरों को निलंबित करने का आदेश दिए हैं। वहीं पुलिस ने ट्राला चालक के साथ ही ट्राला मालकिन अलवर निवासी निशा जैन, डीसीएम के मालिक दिल्ली के राजपुर निवासी प्रताप सिंह के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज किया है। ट्राला के चालक-परिचालक फरार हैं, जबकि डीसीएम चालक सैफई में भर्ती है।
Published on:
17 May 2020 02:36 pm