जोधपुर। जैसलमेर बस हादसे के तीसरे दिन जब जोधपुर में जितेश और स्वरूप की अर्थियां उठीं, तो हर आंख नम थी और हर दिल भारी। जितेश के मासूम बच्चे बार-बार पूछते रहे, पापा कब आएंगे? लेकिन अब जवाब सिर्फ सन्नाटा है। स्वरूप सैन और उनका भांजा जस्सू, जो अपने-अपने परिवार के इकलौते चिराग थे, वे भी दीपावली से पहले बुझ गए। परिवार के सदस्य उनकी यादों को समेटते दिखे।
जोधपुर में जितेश और स्वरूप के परिवार के लोगों ने उनके शव का अंतिम संस्कार किया। जितेश का शव एम्स अस्पताल से तो स्वरूप का शव एमजीएच से सौंपा गया। परिवार के लोग शव लेकर घर पहुंचे तो क्रंदन छूट पड़ा। जितेश की पत्नी और बच्चे उन्हें याद करते हुए सुध-बुध खो रहे हैं। वहीं स्वरूप के भांजे जस्सू की भी इस हादसे में मौत हो गई। वह जैसलमेर का रहने वाला है।
जितेश चौहान मूल रूप से जोधपुर के प्रताप नगर क्षेत्र के रहने वाले थे लेकिन अपने परिवार के साथ डाली बाई सर्कल के समीप नेहरू कॉलोनी में रहते थे। जैसलमेर के समीप रामगढ़ प्लांट में काम करते थे। तीन माह पहले ही प्रमोशन हुआ था, जब बाड़मेर से जैसलमेर स्थानान्तरण हुआ तो गत रविवार को उनकी उनकी पत्नी नीतू चौहान, पुत्र मानस और पुत्री कियारा जोधपुर आ गए थे। जितेश दो दिन रहे फिर से डयूटी पर गए थे और कहा कि मंगलवार को वापस आ जाऊंगा। जब मंगलवार को रवाना हुए तो जोधपुर नहीं पहुंच पाए। अब पत्नी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे। मासूम बच्चे अपने पिता के बारे में पूछ रहे हैं।
स्वरूप सैन व जस्सू परिवार के इकलौते चिराग थे। स्वरूप अपने भांजे को लेने जैसलमेर गया था। लेकिन वह जोधपुर पहुंच नहीं पाया। बस हादसे के शिकार हो गए। स्वरूप के पिता की मृत्यु इसी साल होली पर हुई थी। अब दीपावली से पहले घर का इकलौता चिराग भी बुझ गया। स्वरूप का भांजा जस्सू भी परिवार का इकलौता वारिस था। अब परिवार में एक बूढी मां है, जो विधि के विधान को कोस रही है। गुरुवार को जब सूथला क्षेत्र से स्वरूप की अर्थी उठी तो हर आंख नम हो गई। वहीं जस्सू का शव लेकर परिवार के सदस्य जैसलमेर चले गए।
Published on:
16 Oct 2025 08:14 pm
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