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जैसलमेर बस हादसे में पूरा परिवार खत्म, ताजा हुई अहमदाबाद विमान हादसे की याद; काल का ग्रास बनी थी बांसवाड़ा की डॉक्टर फैमिली

Jaisalmer Bus Fire Update : जैसलमेर में हुए बस अग्निकांड ने जोधपुर के एक पूरे परिवार को खत्म कर दिया, महेंद्र मेघवाल, उनकी पत्नी और तीन बच्चों की दर्दनाक मौत।

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Jaisalmer Bus Fire Update news

महेंद्र मेघवाल और डॉ. प्रदीप जोशी का परिवार। फाइल फोटो- पत्रिका

जैसलमेर में हुए दर्दनाक बस अग्निकांड में जोधपुर का एक परिवार पल भर में खत्म हो गया। इस भीषण हादसे में सेतरावा के लवारन गांव के 35 वर्षीय महेंद्र मेघवाल, उनकी पत्नी पार्वती, बेटियां खुशबू और दीक्षा और बेटे शौर्य, पांचों की मौत हो गई। इस अग्निकांड ने अहमदाबाद विमान हादसे की दर्दनाक याद ताजा कर दी, जिसमें बांसवाड़ा का डॉक्टर परिवार खत्म हो गया था।

जिंदगी का आखिरी सफर

विमान हादसे में डॉ. कौमी व्यास, उनके पति डॉ. प्रदीप जोशी और तीन बच्चे प्रद्युत जोशी, मिराया जोशी और नकुल जोशी की जिंदगी पलभर में खत्म हो गई थी। दरअसल दोनों परिवार नई खुशियों के इंतजार में थे, लेकिन उन्हें दर्दनाक मौत मिली। बस हादसे का शिकार हुए महेंद्र मेघवाल का परिवार नए आशियाने में बसने जा रहा था। वहीं डॉ. प्रदीप जोशी अपने परिवार के साथ लंदन शिफ्ट हो रहे थे। महेन्द्र मेघवाल के परिवार के लिए बस का सफर, तो वहीं डॉ. प्रदीप जोशी के परिवार के लिए विमान का सफर, जिंदगी का आखिरी सफर बन गया।

वायरल हुई थी आखिरी सेल्फी

हादसे का शिकार डॉ. प्रदीप जोशी का परिवार मूलत: बांसवाड़ा का रहने वाला था। परिवार में डॉ. प्रतीक जोशी और डॉ. कौमी व्यास पहले उदयपुर में ही कार्यरत थे। डॉ. प्रतीक साल 2016 में लंदन शिफ्ट हो गए थे। वहीं उनकी पत्नी ने उदयपुर मेडिकल कॉलेज से इस्तीफा देकर लंदन पति के पास जाने की प्लानिंग कर ली थी। फ्लाइट में चढ़ने से ठीक पहले उन्होंने एक सेल्फी ली थी, जो उनकी आखिरी तस्वीर बन गई। हादसे के बाद परिवार की आखिरी सेल्फी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई थी। बता दें कि हादसे का शिकार हुआ एयर इंडिया का विमान बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर था।

यह वीडियो भी देखें

वहीं दूसरी तरफ महेन्द्र मेघवाल जैसलमेर के गोला-बारूद डिपो में जवान के रूप में तैनात थे। उनका परिवार जैसलमेर के इंद्रा कॉलोनी में रहता था, लेकिन छुट्टियों में वे लवारन लौटकर माता गवरीदेवी और बड़े भाई के परिवार के साथ समय बिताना चाहते थे। कुछ वर्ष पूर्व ही महेन्द्र ने अपनी पुरानी ढाणी से थोड़ी दूरी पर नया आशियाना बनाया था, जिसमें वे अभी तक नहीं बस पाए थे। अब यह घर परिवार के बिना सूना रह जाएगा।