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Jalore: जालोर के दुर्गम स्वर्णगिरी दुर्ग तक कब बनेगी सड़क, अब कहां अटका है मामला, यहां जानें

जालोर के ऐतिहासिक स्वर्णगिरी दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कड़ी में यह पहल की गई, जिसके तहत करीब 5 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है।

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Swarngiri Fort

स्वर्णगिरी की पहाड़ियों पर स्थित मंदिर और दुर्ग। फोटो- पत्रिका

जालोर। 1200 फीट ऊंचाई पर बने दुर्गम स्वर्णगिरी दुर्ग तक सड़क निर्माण प्रोजेक्ट के फर्स्ट स्टेज क्लीयरेंस के बाद अब मामला दूसरे चरण के तहत फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी तक पहुंच चुका है। यह सेकेंड स्टेज की महत्वपूर्ण प्रक्रिया है और इसके पूर्ण होने के बाद दुर्ग तक सड़क निर्माण के कार्य को हरी झंडी मिल जाएगी।

बता दें राज्य बजट में 27 करोड़ रुपए से अधिक का बजट जारी होने के बाद एजेंसी की ओर से अलाइनमेंट में बदलाव के साथ कार्य शुरु करने पर वन विभाग ने जांच के साथ काम रुकवा दिया था, जिसके बाद यह मामला करीब 15 माह से अटका पड़ा है, जबकि इस काम को 14 महीने में पूरा करना था।

यह था प्रोजेक्ट, अभी इस स्थिति में

जालोर के ऐतिहासिक स्वर्णगिरी दुर्ग को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की कड़ी में यह पहल की गई, जिसके तहत करीब 5 किलोमीटर सड़क का निर्माण किया जाना है। काम के अटकाव के बाद स्वर्णगिरी दुर्ग समिति की ओर से भी इस कार्य को जल्द से जल्द शुरू करने की मांग की गई है।

विरासत को मिलेगी पहचान

दुर्ग चढ़ाई तक सीढ़ियों के जरिए पहुंचना बाहरी पर्यटकों के लिए आसान नहीं है। इसी कारण से बाहरी पर्यटक नहीं पहुंचते। इस समस्या के समाधान और दुर्ग की विरासत को पहचान दिलाने को सड़क का निर्माण प्रस्तावित है। दुर्ग पर मानसिंह महल, रानी महल, वीरमदेव चौकी समेत अन्य पर्यटन स्थल है, लेकिन पर्यटन नक्शे से ओझल है।

जल्द से जल्द हो यह कार्य

स्वर्णगिरी जैन श्वेताम्बर तीर्थ के सचिव और दुर्ग सड़़क निर्माण संघर्ष समिति के संयोजक पुष्पराज बोहरा ने कहा कि धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों तक पर्यटक और श्रद्धालु तभी पहुंच सकेंगे, जब सड़क का निर्माण होगा। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। मांग है कि रुके हुए प्रोजेक्ट को जल्द से जल्द क्लीयरेंस मिले और विकास के बकाया कार्य भी हो।

इन्होंने कहा

विभागीय स्तर पर दुर्ग सड़क निर्माण कार्य के लिए सभी रिपोर्ट सबमिट कर दी गई है। फर्स्ट लेवल क्लीयरेंस तो हो चुका था। अब मामला फोरेस्ट एडवाइजरी कमेटी में अटका हुआ है।

  • जयदेवसिंह चारण, डीएफओ, जालोर