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पोकरण में रैफर टू पॉलिसी: अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी, जोखिम में पड़ जाती है घायलों की जान

कहने को तो पोकरण में जिला स्तर का राजकीय अस्पताल है, लेकिन यहां विशेषज्ञों के रिक्त पदों के कारण सडक़ हादसों के दौरान घायलों को जोधपुर रेफर करना मजबूरी हो जाता है।

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कहने को तो पोकरण में जिला स्तर का राजकीय अस्पताल है, लेकिन यहां विशेषज्ञों के रिक्त पदों के कारण सडक़ हादसों के दौरान घायलों को जोधपुर रेफर करना मजबूरी हो जाता है। यही नहीं पोकरण में ट्रोमा सेंटर स्वीकृत है, जिसके भवन का निर्माण कार्य चल रहा है, लेकिन स्वीकृत चिकित्सक व कार्मिकों के सभी पद रिक्त पड़े है। गौरतलब है कि जैसलमेर जिला मुख्यालय के बाद पोकरण में क्षेत्र का सबसे बड़ा राजकीय अस्पताल है, जो जिला स्तर है। पोकरण विधानसभा क्षेत्र विस्तृत भू-भाग में फैला हुआ है। जिले का प्रवेश द्वार भी पोकरण ही माना जाता है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में पर्यटक पोकरण होकर ही जैसलमेर जाते है। पोकरण दो राष्ट्रीय राजमार्गों संख्या 11 व 125 से जुड़ा हुआ है। सामरिक रूप से भी पोकरण महत्वपूर्ण है। यहां सेना व बीएसएफ की स्थायी छावनियां है तो बड़ी फील्ड फायरिंग रेंज भी स्थित है और वर्षभर युद्धाभ्यास चलता है।

हकीकत: जोधपुर रेफर करना मजबूरी

राजकीय अस्पताल में सर्जरी व हड्डी के वरिष्ठ विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, हालांकि कनिष्ठ विशेषज्ञ है, लेकिन वरिष्ठ विशेषज्ञों के अभाव में ऑपरेशन व गंभीर घायलों का उपचार नहीं हो पाता है। ऐसे में घायलों को प्राथमिक उपचार के बाद जोधपुर रेफर करना मजबूरी बन जाता है। करीब 170 किलोमीटर दूर जोधपुर जाने में ढाई से तीन घंटे का समय लगता है। इस दौरान मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

ट्रोमा में भी नहीं है स्टाफ

करीब चार वर्ष पूर्व में पोकरण में राजकीय अस्पताल में जिला स्तर में क्रमोन्नत करने के साथ यहां ट्रोमा सेंटर भी स्वीकृत किया गया था, जिसका निर्माण कार्य अभी तक चल रहा है। सरकार की ओर से ट्रोमा सेंटर को चालू कर यहां पद भी स्वीकृत कर दिए गए, लेकिन सभी पद रिक्त पड़े है। ट्रोमा सेंटर में कनिष्ठ विशेषज्ञ सर्जरी का एक, चिकित्साधिकारी स्नातकोत्तर सर्जरी के दो व हड्डी के तीन पद स्वीकृत है, जो सभी रिक्त पड़े है। इसके अलावा नर्सिंग अधिकारी के 10 पद स्वीकृत है, जो रिक्त है। ऐसे में यहां एक भी स्टाफ नहीं होने से घायलों को ट्रोमा सेंटर का कोई लाभ नहीं मिल रहा है।