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रेगिस्तानी इलाकों में आग से जंग, चारों दिशाओं में नहीं दमकल वाहन

रेगिस्तान की गोद में बसे जैसलमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल आग लगने की घटनाएं जान-माल के नुकसान का बड़ा कारण बन रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज भी दर्जनों कस्बे और सैकड़ों गांव अग्निशमन वाहन जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं।

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सरहदी जिले के ग्रमीण क्षेत्रों में अग्निकांंड पर काबू पाने के लिए पर्याप्त दमकलों की दरकार।

रेगिस्तान की गोद में बसे जैसलमेर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में हर साल आग लगने की घटनाएं जान-माल के नुकसान का बड़ा कारण बन रही हैं, लेकिन जिम्मेदारों की लापरवाही के चलते आज भी दर्जनों कस्बे और सैकड़ों गांव अग्निशमन वाहन जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित हैं। दीपावली पर्व नजदीक है, ऐसे में चिंता होना लाजमी है। रामदेवरा, नाचना, मोहनगढ़ और पोकरण जैसे बड़े धार्मिक व प्रशासनिक केंद्रों में दमकल वाहनों की कमी से आए दिन आग लगने की घटनाएं विकराल रूप ले रही हैं।

रामदेवरा: स्थायी दमकल नहीं, श्रद्धालु व व्यापारी असुरक्षित

रामदेवरा कस्बे की आबादी करीब 11 हजार है, साथ ही यह लोकदेवता बाबा रामदेव का प्रमुख तीर्थ स्थल है, जहां वर्षभर हजारों श्रद्धालु आते हैं। भादवा मेले के दौरान 30 से 40 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं, तब यह कस्बा महानगर का रूप ले लेता है। इसके बावजूद यहां स्थायी दमकल वाहन नहीं है। मेले के समय अस्थायी रूप से पोकरण व जैसलमेर से दमकल मंगाई जाती है, जबकि आम दिनों में आग की घटनाओं में लाखों का नुकसान होता है। साल 2019 में यहां 30 से अधिक दुकानें जलकर राख हो गई थीं। उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री ने स्थल का दौरा कर दमकल की घोषणा की थी, लेकिन आज तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुंचा।

नाचना: हर साल दर्जनों अग्निकांड, वन क्षेत्र जलकर राख

नाचना पंचायत समिति में 20 ग्राम पंचायतें और 78 गांव शामिल हैं, पर यहां भी दमकल वाहन नहीं है। इंदिरा गांधी नहर के किनारे सैकड़ों बीघा में नर्सरियां हैं, जहां हर वर्ष आग लगने से लाखों की वन संपदा नष्ट होती है। आग लगने पर ग्रामीण खुद पानी के टैंकरों से आग बुझाने का प्रयास करते हैं। नाचना से पोकरण की दूरी 80 किलोमीटर और जैसलमेर की 120 किलोमीटर है। इस वजह से दमकल को घटनास्थल तक पहुंचने में दो से चार घंटे लग जाते हैं।

मोहनगढ़: 15 साल से इंतजार, हर घटना में लाखों का नुकसान

मोहनगढ़ क्षेत्र में भी दमकल का अभाव है। यहां आग लगने की घटनाएं आम बात हो चुकी हैं। वन भूमि, खेतों, बाजारों और कॉलोनियों में कई बार आग लग चुकी है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ। हर बार ग्रामीण, सेना और पुलिस के सहयोग से आग पर काबू पाया जाता है। मोहनगढ़ जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर है। जब तक दमकल वहां पहुंचती है, तब तक सब कुछ जलकर राख हो जाता है। ग्रामीणों ने 12 वर्ष से अधिक समय से प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की है, लेकिन समाधान नहीं हुआ। वर्ष 2011 और 2021 में हुई बड़ी घटनाओं में सैकड़ों दुकानें, केबिन, ठेले और मशीनरी जलकर नष्ट हो चुके हैं।

पोकरण: 300 गांव, केवल एक दमकल वाहन

पोकरण और भणियाणा उपखण्ड क्षेत्र में 300 से अधिक गांव हैं, लेकिन यहां केवल एक बड़ा और एक छोटा अग्निशमन वाहन है। उत्तर दिशा में जालूवाला जैसे गांव 150 किमी दूर हैं, जबकि दक्षिण दिशा में मानासर 100 किमी दूर है। आग की घटनाओं के दौरान दमकल के पहुंचने से पहले ही अधिकांश जगहों पर सबकुछ जल जाता है। नगरपालिका को वाहन भेजने पर ईंधन का खर्च भी खुद वहन करना पड़ता है, जिससे आर्थिक बोझ बढ़ रहा है। छोटे आकार के दमकल वाहन या मोटरसाइकिल दमकल न होने से कस्बे के संकरे रास्तों में आग पर काबू पाना मुश्किल हो जाता है। रेगिस्तानी इलाकों के इन कस्बों और गांवों में अग्निशमन वाहन की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही है।