जयपुर। सेरेब्रल पाल्सी से जूझ रहे बच्चों के लिए राजस्थान में नई उम्मीद जगाने वाली पहल ने हजारों परिवारों को राहत दी है। इलाज और पुनर्वास की इन सेवाओं से बच्चों को न केवल चलने-फिरने की क्षमता मिली है, बल्कि वे आत्मनिर्भर बनकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि इस पहल से अब तक कई बच्चे बोलने और खेलने जैसी बुनियादी क्षमताएँ फिर से हासिल कर चुके हैं।
उदयपुर का नारायण सेवा संस्थान पिछले दो दशकों से ऐसे बच्चों के जीवन में बदलाव की मिसाल बना हुआ है। संस्थान के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. बी.एल. शिंदे के अनुसार ओपीडी में आने वाले लगभग 60 प्रतिशत बच्चे सेरेब्रल पाल्सी से प्रभावित होते हैं। इलाज से पहले हर मरीज की न्यूरोलॉजिकल जांच की जाती है और जिनमें जकड़न या विकृति होती है, उनकी सर्जरी की जाती है। इसके बाद फिजियोथेरेपी और कैलिपर की मदद से उन्हें खड़े होने और चलने में सहायता दी जाती है।
डॉ. शिंदे ने बताया कि कई बच्चों में उपचार के बाद आश्चर्यजनक सुधार देखा गया है। श्रीगंगानगर के नौ वर्षीय रमेश इसका उदाहरण हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार ने सितम्बर 2025 में रमेश को संस्थान में भर्ती कराया था। दोनों पैरों की सर्जरी और नियमित फिजियोथेरेपी के बाद वह अब कैलिपर की मदद से खड़ा होकर चलने लगा है। रमेश के माता-पिता कहते हैं कि संस्थान ने हमारे बेटे को नई जिंदगी दी है, अब वह पहले से कहीं बेहतर है।
संस्थान के अनुसार अब तक हजारों बच्चों को निःशुल्क सर्जरी, फिजियोथेरेपी, दवाइयाँ और कैलिपर उपलब्ध कराए गए हैं। इनमें से करीब 60% बच्चों में चलने, बैठने और खाने-पीने की क्षमता में सुधार दर्ज किया गया है। यहाँ न केवल राजस्थान बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा सहित नेपाल, केन्या, बांग्लादेश और दक्षिण अफ्रीका सहित अन्य देशों से भी मरीज आते हैं।
संस्थान ने सरकार से अपील की है कि सेरेब्रल पाल्सी बच्चों के लिए राष्ट्रीय पुनर्वास नीति बने। साथ ही समाज से आग्रह किया है कि विकलांगता को कलंक नहीं, एक चुनौती समझकर सहयोग करें। बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए यहाँ एक स्पेशल पार्क भी बनाया गया है, जहाँ खेल-खेल में वे आत्मविश्वास और समन्वय सीखते हैं।
Published on:
06 Oct 2025 09:11 pm
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