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Rajasthan News: दवा में जहर, सिस्टम में सन्नाटा, निशुल्क दवा योजना से भी मिली नहीं राहत

राजस्थान में नकली और अमानक दवाओं का कारोबार इतना गहरा हो चुका है कि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही इनकी हजारों मात्रा बाजार में खप चुकी होती है। रिपोर्ट आने के बाद भी इन दवाओं को बाजार से हटाने कार्रवाई बेहद धीमी रहती है।

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600 करोड़ की दवाइयां हर साल मिल रही अमानक या नकली

Trade in counterfeit and substandard medicines: राजस्थान में नकली और अमानक दवाओं का कारोबार इतना गहरा हो चुका है कि जांच रिपोर्ट आने से पहले ही इनकी हजारों मात्रा बाजार में खप चुकी होती है। रिपोर्ट आने के बाद भी इन दवाओं को बाजार से हटाने कार्रवाई बेहद धीमी रहती है। राजस्थान पत्रिका के सोमवार के अंक में '600 करोड़ की दवाइयां हर साल मिल रही अमानक या नकली' शीर्षक से समाचार प्रकाशित होने के बाद, जन स्वास्थ्य अभियान इंडिया, राजस्थान राज्य इकाई ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, मुख्य सचिव एवं केंद्रीय सचिव (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली) को पत्र लिखकर प्रदेशवासियों के जीवन और स्वास्थ्य पर मंडरा रहे खतरे पर आवश्यक कार्यवाही की मांग की है।

तीन वर्ष में 375 दवाएं अमानक, 58 नकली

गत तीन वर्ष में 375 दवाएं अमानक और 58 नकली पाई गई। वहीं पिछले पांच वर्ष में निःशुल्क दवा योजना के अंतर्गत राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में पहुंचीं 700 दवाइयां अमानक साबित हुई। जनस्वास्थ्य अभियान इंडिया के अनिल गोस्वामी और बसंत हरियाणा ने राज्य के प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं औषधि नियंत्रक को निलंबित करने की मांग की है। साथ ही निःशुल्क दवा योजना में वितरित दवाओं की गुणवत्ता जांच, राज्य स्तरीय विशेष जांच दल गठित करने, अमानक एवं नकली दवाओं के निर्माण व बिक्री की पूरी जांच करवाने, सभी सरकारी अस्पतालों व दवा आपूर्ति चैनलों की स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट तैयार कर सार्वजनिक करने तथा दोषी कंपनियों व वितरकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की गई है।

सालाना 600 करोड़ तक की दवाएं अमानक और नकली

राजस्थान के सालाना 20 हजार करोड़ के थोक और खुदरा दवा बाजार में करीब 500 से 600 करोड़ रुपए की दवाइयां अमानक और नकली मिल रही हैं। मरीजों के जीवन के लिए खतरा बन सकने वाली ये दवाइयां बाजार में जाने के बाद लिए जा रहे सैंपल में घटिया पाई जा रही हैं।

सैंपल फेल होने के बाद औषधि नियंत्रण आयुक्तालय इन पर रोक लगाने और बाजार से हटाने की पूरी जिम्मेदार निर्माता, थोक और खुदरा विक्रेता को देकर मुक्त हो जाता है। लेकिन, इससे पहले मरीजों को दी जा चुकी दवा की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की जाती।

राजस्थान और मध्यप्रदेश में कफ सिरप से बच्चों की मौत और बीमार होने के आरोपों के बाद दवा बाजार से लिए जाने वाले सैंपलों की पड़ताल में सामने आया कि इस साल जनवरी से अब तक 98 दवाइयां अमानक पाई जा चुकी हैं। यह आंकड़ा साल के अंत तक करीब 125 तक जाने की आशंका है। पिछले तीन साल के दौरान राज्य में 58 दवाइयां नकली भी पाई गई हैं।