राजथान के सीएम भजनलाल । फाइल फोटो पत्रिका
Rajasthan : राजस्थान सरकार सहकारी समितियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उद्देश्य से एक नई नीति लागू करने जा रही है, जिसका उद्देश्य अनियमितताओं पर अंकुश लगाना और सहकारी संस्थाओं का बेहतर विनियमन सुनिश्चित करना है। नए कानून का मसौदा महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और केरल जैसे अग्रणी राज्यों में सहकारी कानूनों के विस्तृत अध्ययन तथा वरिष्ठ अधिकारियों एवं विषय विशेषज्ञों के साथ परामर्श के बाद तैयार किया गया।
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा ने कहा, हमारा उद्देश्य राज्य में सहकारिता को सभी के लिए सुलभ बनाना है, ताकि लोगों को सशक्त बनने के अधिकतम अवसर मिल सकें। इस नई सहकारी संहिता में, सहकारी समितियां अपने कार्यक्षेत्र के बाहर अपनी दुकानें या आउटलेट खोलकर सीधे अपने उत्पाद बेच सकेंगी। साथ ही, ऑडिट को मजबूत करने के लिए, समितियों को समय पर विभाग के पोर्टल पर ऑडिट रिपोर्ट अपलोड करनी होगी।
नए कोड में कई प्रगतिशील प्रावधान शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया, "कानून में नई सोसाइटियों में राज्य या केंद्र की हिस्सेदारी की सीमा हटाने का भी प्रस्ताव है और सोसाइटी गठन में आने वाली बाधाओं की स्थिति में तदर्थ समितियों के गठन की अनुमति भी दी गई है। चुनाव सोसाइटियों के उपनियमों के अनुसार कराए जाएँगे।
प्रशासन को और अधिक कुशल बनाने के लिए, सदस्यों को आम सभा की बैठकों की सूचना व्हाट्सएप या ईमेल के माध्यम से दी जा सकती है, और ऐसी बैठकें आयोजित न करने पर 5,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा। अधिकारी ने आगे कहा, "'सहकारी' शब्द का दुरुपयोग करने पर 50,000 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा।"
क्रेडिट सोसाइटियों में जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा और उनके कामकाज की निगरानी के लिए एक नियामक बोर्ड की स्थापना की जाएगी। हाउसिंग सोसाइटी के सदस्यों को धोखाधड़ी से बचाने के लिए भी नियम बनाए जाएंगे।
इसके अलावा, लगातार तीन बैठकों से अनुपस्थित रहने वाले बोर्ड सदस्य को अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा, जबकि रजिस्ट्रार को सोसायटी के सदस्यों के हित में निर्देश जारी करने का अधिकार होगा।
Updated on:
16 Oct 2025 02:49 pm
Published on:
16 Oct 2025 02:48 pm
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