
बायो सीएनजी और बायोकोल बनाने व बढ़ावा देने की पॉलिसी, पत्रिका प्रतीकात्मक तस्वीर
जयपुर.राज्य में कृषि वेस्ट से बायो सीएनजी और बायोकोल बनाने व बढ़ावा देने के लिए सरकार ने नीति तो बना दी, लेकिन जमीन आवंटन के नियम ही तय नहीं किए। इसके चलते करीब 77 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश फिलहाल अटक गया है।कई बड़ी कंपनियों ने राजस्थान में प्लांट लगाने के लिए प्रस्ताव भेजे हुए हैं। बताया जा रहा है कि ऊर्जा विभाग ने ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए भू-आवंटन के नियम बनाने का प्रस्ताव राजस्व विभाग में भेजा हुआ है, जहां से निर्णय नहीं हो पा रहा।
राज्य सरकार की क्लीन एनर्जी पॉलिसी के तहत कृषि अपशिष्ट (एग्रीकल्चर वेस्ट) से ईंधन तैयार करने की योजना बनाई गई है, जिससे खेतों में जलने वाली पराली और अन्य वेस्ट उपयोग में आ सकें, लेकिन जमीन के अभाव में ये प्रोजेक्ट आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।
रिलायंस बायो एनर्जी सहित 33 कंपनियों ने एमओयू किया है। इसमें अकेले रिलायंस 58500 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। इसके बाद डिटोक्स ग्रीन एनर्जी का 2500 करोड़, रिन्यू का 12000 करोड़, सीआइईडी कंपनी व पीईएस रिन्यू का एक हजार करोड़ रुपए का एमओयू है। इसी तरह कई अन्य कंपनियां भी राज्य में बायोफ्यूल यूनिट लगाने की तैयारी में है, जो सरकारी जमीन चाह रही हैं।
भारत ने 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य तय किया है। राजस्थान में कृषि अपशिष्ट से सालाना 12 मिलियन टन ईंधन तैयार करने की क्षमता है। सूत्रों के मुताबिक राज्य में करीब 1.8 करोड़ टन से ज्यादा कृषि वेस्ट होता है, जो ऊर्जा के रूप में उपयोग हो सकता है। केवल बायो सीएनजी प्रोजेक्ट से ही राज्य की ऊर्जा जरूरतों का 12 प्रतिशत तक पूरा किया जा सकता है।
हर साल लाखों टन कृषि अवशेष का उपयोग ऊर्जा उत्पादन में किया जा सकेगा।
किसानों को वेस्ट मैटेरियल का उचित मूल्य मिलेगा।
ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलेगा और कार्बन उत्सर्जन घटेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर बनेंगे।
कंपनियों ने शुरुआत में खेती योग्य जमीन पर भी प्रोजेक्ट लगाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन सरकार ने फिलहाल उस पर कोई निर्णय नहीं लिया। अब केवल औद्योगिक या अनुपयोगी सरकारी जमीन पर प्लांट लगाने की अनुमति देने पर विचार चल रहा है। राजस्व विभाग को इस संबंध में ड्राफ्ट तय करना है।
Published on:
26 Oct 2025 01:36 pm
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