Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

‘पश्चिमी बायपास’ के लिए 31 गांवों से ली जाएगी जमीन, जमीनें चिन्हित

MP News: बायपास ओवरलोड होने से पूर्वी व पश्चिमी आउटर बायपास निर्माण प्रस्तावित है....

2 min read
Google source verification
फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: बायपास पर ट्रैफिक के मिस मैनेजमेंट का एक कारण सरकारी लेटलतीफी भी है। ट्रैफिक सुधार के लिए सवा दो साल पहले बनी नए बायपास की योजना का काम अफसर शुरू नहीं कर पाए हैं। स्वीकृति, टेंडर प्रक्रिया के बाद अब भू-अर्जन की प्रक्रिया कछुआ चाल से चल रही है। इससे महत्वपूर्ण सड़क का निर्माण शुरू नहीं हो पा रहा है।

बायपास ओवरलोड होने से पूर्वी व पश्चिमी आउटर बायपास निर्माण प्रस्तावित है। पश्चिमी बायपास की स्वीकृति जून 2023 में हुई। टेंडर में करीब एक साल लगा। मार्च 2024 में 1880 करोड़ के टेंडर होने के साथ भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू हुई। 64 किमी के पश्चिमी बायपास के लिए अहमदाबाद की कंपनी को ठेका दिया गया है। दो चरण में सड़क निर्माण की लागत 996 और 884 करोड़ है। टेंडर को डेढ़ साल से ज्यादा समय होने के बाद भी भू-अर्जन पूरा नहीं हो सका है।

31 गांवों की 600 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण

एनएचएआइ के अनुसार, अधिग्रहित होने वाली जमीनें चिन्हित हैं। आठ किमी में पीथमपुर से सड़क शुरू होगी। इसके बाद 12 किमी देपालपुर, 20 किमी हातोद, 14 किमी सांवेर से होते हुए सड़क गुजरेगी। बायपास बनाने के लिए 31 गांवों की 600 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होना है।

पूर्वी बायपास के भी टेंडर नहीं

एनएचएआइ ने पश्चिमी के साथ पूर्वी रिंग रोड के 2100 करोड़ के टेंडर जारी किए थे। दोनों हिस्सों को एनएचएआइ को ही बनाना था, लेकिन एमपीआरडीसी द्वारा पूर्वी बायपास बनाने की बात आई। इसके बाद एनएचएआइ ने टेंडर निरस्त कर दिया। ये हिस्सा एमपीआरडीसी बनाएगा या एनएचएआइ इस निर्णय में एक साल से ज्यादा लगा। कुछ माह पहले पूर्वी बायपास निर्माण की गेंद एनएचएआइ के पाले में आ गई है। अब एनएचएआइ इसकी टेंडर प्रक्रिया में लगा है।

बायपास निर्माण की भू-अर्जन प्रक्रिया अंतिम दौर में है। एक महीने बाद काम शुरू कर देंगे। -प्रवीण यादव, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआइ