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‘दैनिक वेतनभोगी’ कर्मचारी नहीं होंगे स्थायी, तत्काल प्रभाव से आदेश निरस्त

MP News: सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को सभी सरकारी संस्थाओं के दैवेभो कर्मियों को स्थायी करने का आदेश जारी किया था....

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फोटो सोर्स: पत्रिका

फोटो सोर्स: पत्रिका

MP News: सरकारी महाविद्यालयों में कार्यरत दैनिक वेतनभोगी (दैवेभो) कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है। उच्च शिक्षा विभाग ने उन्हें स्थायी करने से संबंधित आदेश वापस ले लिया है। विभाग के अवर सचिव वीरन सिंह भलावी ने 24 अक्टूबर को आदेश जारी करते हुए 9 मई 2023 और 5 अक्टूबर 2023 को जारी स्थायीकरण संबंधी पत्र तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिए। इसके साथ ही जिन महाविद्यालयों में दैवेभो कर्मचारियों को स्थायी घोषित किया गया था, वे अब पुन: दैनिक वेतनभोगी की श्रेणी में आ गए हैं।

दिए गए थे निर्देश

गौरतलब है कि सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को सभी सरकारी संस्थाओं के दैवेभो कर्मियों को स्थायी करने का आदेश जारी किया था। इसी के क्रम में उच्च शिक्षा विभाग ने सात साल बाद दो पत्र जारी किए थे, जिनमें प्राचार्यों को दैवेभो कर्मियों के स्थायीकरण की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए थे।

कई महाविद्यालयों ने इस आदेश के तहत समितियां बनाईं और स्थायीकरण की कार्रवाई भी शुरू कर दी थी। अब आदेश वापसी से उन सभी कर्मचारियों की उमीदों पर पानी फिर गया है, जो वर्षों से नियमितिकरण की प्रतीक्षा कर रहे थे। विभाग के इस कदम से कर्मचारियों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है।

इन बिंदुओं को लेकर बढ़ी उलझन

सामान्य प्रशासन विभाग ने 2007 के पहले से काम करने वाले दैवेभो को स्थाई करने का उल्लेख आदेश में किया। जबकि 2007 के बाद से काम कर रहे दैवेभो को शासन से अनुमति प्राप्त होने पर स्थाई करने के लिए कहा गया। इन बिंदुओं पर उलझन ज्यादा हुई। चूंकि 2011 के बाद विभाग ने इस तरह की नियुक्तियों पर रोक लगा दी थी।

मामला फंसा तो विभाग ने अपने पैर वापस खींच लिए। बहरहाल, पूर्व के आदेश के तहत एडी रीवा क्षेत्र अंतर्गत कन्या पीजी कॉलेज सतना, ब्यौहारी कॉलेज में दैवेभो को स्थाईकर्मी का लाभ मिल गया था। इसी तरह, अवधेश प्रताप सिंह विवि के भी 60 कर्मियों को लाभान्वित किया जा चुका है।

हाइकोर्ट पहुंचने लगे थे प्रकरण

बताते हैं कि सामान्य प्रशासन विभाग ने दैवेभो को स्थाई कर्मी घोषित करने आदेशित किया था, जबकि महाविद्यालयों में जनभागीदारी, स्वशासी एवं स्ववित्तीय मद से श्रमिक रखे जाते हैं। उक्त आदेश का हवाला देकर इन मदों के श्रमिकों को दैवेभो माना जाकर विभाग ने स्थाई करने का निर्णय लिया।

इस आदेश में कुछ और तकनीकी त्रुटि रही, जिसके चलते सभी महाविद्यालय इसका पालन नहीं कर पाए। उल्टा कई महाविद्यालयों के श्रमिकों ने मप्र उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर दी। वहां भी विभाग जवाब नहीं दे पा रहा था। सीधी पीजी कॉलेज से कुछ लोगों ने हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाइकोर्ट ने उच्च शिक्षा विभाग के पाले में गेंद डाल दी। इसी कारण विभाग ने आदेश ही निरस्त कर दिया। हाइकोर्ट की तीनों पीठ में इससे संबंधित याचिकाएं लगी हुई हैं।