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लोक देवता बाबा रामदेव: लोक आस्था और सामाजिक समरसता के स्रोत विषयक राजस्थान पत्रिका परिचर्चा

भारत की लोक संस्कृति में संतों और महापुरुषों का विशेष स्थान रहा है। राजस्थान की पावन धरा पर जन्मे बाबा रामदेव मानवता, समानता और सेवा के प्रतीक माने जाते हैं। उनका जीवन हमारे लिए मार्गदर्शन और प्रेरणा का स्रोत है। लोकदेवता बाबा रामदेव: लोकआस्था और सामाजिक समरसता के स्रोत विषयक राजस्थान पत्रिका परिचर्चा का आयोजन किया गया। प्रस्तुत है परिचर्चा के प्रमुख अंश:

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राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

राजस्थान पत्रिका परिचर्चा में विचार रखते प्रवासी।

लोक संस्कृति का उत्सव
बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के अध्यक्ष उदाराम प्रजापत थलवाड़ ने कहा, हर वर्ष रामदेवरा में लगने वाला मेला केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और लोक संस्कृति का उत्सव है। इसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होकर यह संदेश देते हैं कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। बाबा रामदेव का जीवन हमें यह सिखाता है कि किसी भी इंसान का मूल्य उसकी जाति, धर्म या धन से नहीं, बल्कि उसके आचरण और सेवा भाव से तय होता है। उन्होंने बचपन से ही दीन-दुखियों की सहायता और असहायों की रक्षा को अपना धर्म माना। हुब्बल्ली में भाद्रवा के महीने में विशेष आयोजन होते हैं। पालना चढ़ावा का आयोजन किया जाता है। जागरण का आयोजन किया जाता है। बाबा रामदेव मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ समेत अन्य धार्मिक आयोजन होते हैं।

हुब्बल्ली से कुंदगोल तक पैदल यात्रा
मरुधर देवासी समाज हुब्बल्ली के पूर्व अध्यक्ष जामताराम देवासी सराणा कहते हैं, मैं वर्ष 1981 से हुब्बल्ली में निवास कर रहा हूं। उस समय समाज के कई लोगों ने मंदिर एवं भवन निर्माण के लिए प्रयास किए। अब यह बड़ा रूप ले चुका है। सालभर कई धार्मिक आयोजन बाबा रामदेव के नाम पर हो रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों से हुब्बल्ली से कुंदगोल रामदेव मंदिर तक पैदल यात्रा भी निकाली जा रही है।

संत-महात्माओं का सत्कार
बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ हुब्बल्ली के प्रवक्ता किशोर पटेल गोलिया चौधरियान कहते हैं, मैं वर्ष 1985 में हुब्बल्ली आया। तब से बाबा रामदेव के सेवा कार्य से जुड़ा हुआ हूं। उस समय हुब्बल्ली के कुबसद गली में जागरण का आयोजन हुआ करता था। इसमें सभी समाज के लोग शामिल होते थे। राजस्थानी समाज की गतिविधियों में बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ सदैव अग्रणी रहा है। राजस्थान एवं अन्य स्थानों से आने वाले संत-महात्माओं का भी संघ की ओर से स्वागत व सम्मान किया जाता है।

इंसानियत सबसे बड़ा धर्म
शाकद्विपीय ब्राह्मण समाज हुब्बल्ली के अध्यक्ष नरेश शर्मा मोदरान कहते हैं, बाबा रामदेव रामसा पीर का हमारे जीवन में महत्व केवल आस्था तक सीमित नहीं है, वे हमें यह सिखाते हैं कि दूसरों की सेवा ही सच्ची पूजा है, सभी मनुष्य समान हैं और इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है। आज से करीब चार-पांच दशक पहले बाबा रामदेव के जागरण में शामिल होने वालों में अधिकांश विभिन्न प्रतिष्ठानों-संस्थानों में काम करने वाले प्रवासी शामिल होते थे। बाद में सभी के प्रयासों से बाबा रामदेव के भवन एवं मंदिर के लिए जगह ली गई। अब हर साल शोभायात्रा एवं मेले का आयोजन होता है।

आपस में जोडऩे का काम
बाबा रामदेव मंदिर से जुड़े धर्मेन्द्र माली कोसेलाव कहते है, बाबा रामदेव ने जात-पांत, ऊंच-नीच और भेदभाव को नकारकर मानवता को सबसे बड़ा धर्म माना। सदैव गरीब, असहाय और पीडि़त लोगों की मदद के लिए तत्पर रहते थे। उन्होंने समाज को यह शिक्षा दी कि सभी मनुष्य ईश्वर की संतान हैं, किसी में ऊंच-नीच का भेद नहीं। उन्होंने सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना। आज भी उनके अनुयायी दूसरों की मदद को ही सच्ची भक्ति मानते हैं। बाबा रामदेव का मेला सभी प्रवासियों को आपस में जोडऩे का कार्य कर रहा है। एक-दूसरे से परिचय होता है।

रामदेव मंदिर में विशेष आरती
बाबा रामदेव मरुधर युवा सेवा संघ हुब्बल्ली के उपाध्यक्ष केसाराम चौधरी हरजी कहते हैं, मैं पिछले करीब ढाई दशक से बाबा रामदेव मरुधर सेवा संघ से जुड़ा हुआ हूं। शुक्ल पक्ष की हर द्वितीय को रात्रि 9.30 बजे हुब्बल्ली के बाबा रामदेव मंदिर में विशेष आरती का आयोजन हो रहा है। बाबा रामसा पीर के प्रति भक्तों की अपार आस्था है। सभी जाति-वर्ग के लोगों का जुड़ाव बना हुआ है। हुब्बल्ली में बाबा रामदेव मंदिर में रोजाना पूजा-पाठ एवं आरती का आयोजन किया जाता है। साथ ही समय-समय पर प्रमुख अवसरों पर विशेष आयोजन होता है।

बाबा रामदेव के प्रति आस्था
सीरवी समाज कर्नाटक के कार्यकारिणी सदस्य बाबूलाल सीरवी कराड़ी कहते हैं, बाबा रामदेव का जीवन हमें सिखाता है कि भौतिक सुख-सुविधाओं से ऊपर उठकर दूसरों की सहायता करना ही मनुष्य का परम कर्तव्य है। उनके भजन, लोकगीत और वचन जनमानस को आज भी प्रेरणा देते हैं और कठिन समय में सहारा बनते हैं। विभिन्न धर्मों और मतों के लोग जब एक ही स्थान पर आकर बाबा की समाधि पर श्रद्धा व्यक्त करते हैं, तो यह धार्मिक एकता और सामूहिक संस्कृति की मिसाल पेश करता है। हर वर्ग के लोगों की बाबा रामदेव के प्रति आस्था है।

पक्षियों के लिए चुग्गाघर
बाबा रामदेव मंदिर हुब्बल्ली से जुड़े रामलाल जणवा चौधरी बाली कहते हैं, आज जब समाज में भेदभाव और असमानता की चुनौतियां हैं, बाबा रामदेव की शिक्षाएं हमें समानता और भाईचारे का मार्ग दिखाती हैं। हुब्बल्ली में बाबा रामदेव मंदिर के ऊपर पक्षियों के लिए चुग्गाघर बना हुआ है। जहां रोजाना करीब 120 किलो चुग्गा दिया जाता है। हर साल आयोजित किए जाने वाले मेले में सभी जाति-वर्ग के लोग जुड़ते हैं।