Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

भंवर गुफा में विराजिया जलंधरनाथ…राजस्थान से आए कलाकारों ने भजनों से बांधा समा

भंवर गुफा में विराजिया जलंधरनाथ...., सिरे मंदिर में बाजा बाजे....गांव भागली में जन्मिया नाथजी ने घणी खम्मा...समेत अन्य मनमोहक भजनों की प्रस्तुति ने भक्तों का दिल जीत लिया। अवसर था श्री नाथजी भक्त मंडल हुब्बल्ली (कर्नाटक) के तत्वावधान में भैरूनाथ अखाड़ा जलन्धरनाथ पीठ सिरे मंदिर जालोर के पीर शांतिनाथ महाराज की तेरहवीं पुण्य तिथि के अवसर पर पीबी रोड गब्बूर दादावाड़ी स्थित सिंवाची भवन में आयोजित जागरण का। राजस्थान के भजन कलाकार मोहनराम देवासी, जैताराम देवासी एंड पार्टी ने भजनों की बेहतरीन प्रस्तुति दी। भजनों की प्रस्तुति पर उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर होकर झूम उठे। जागरण के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय रहा और देर रात तक भजनों की गूंज सुनाई देती रही।

2 min read
कर्नाटक के हुब्बल्ली पीबी रोड गब्बूर दादावाड़ी स्थित सिंवाची भवन में आयोजित जागरण में अतिथियों का सम्मान करते हुए।

कर्नाटक के हुब्बल्ली पीबी रोड गब्बूर दादावाड़ी स्थित सिंवाची भवन में आयोजित जागरण में अतिथियों का सम्मान करते हुए।

आसपास के इलाकों से शामिल हुए भक्त
श्री नाथजी भक्त मंडल हुब्बल्ली के अध्यक्ष हड़मतसिंह भायल खांडप ने बताया कि मंडल की ओर से पिछले 13 वर्ष से प्रतिवर्ष जागरण का आयोजन किया जा रहा है। जागरण में हुब्बल्ली के साथ ही आसपास के इलाकों से भक्तगण शामिल हुए। समारोह में पीर शांतिनाथ महाराज के जीवन, उनके आध्यात्मिक योगदान और समाज सेवा को याद किया गया। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद व भोजन की विशेष व्यवस्था भी की गई थी। शांतिनाथ महाराज का जन्म जालोर के भागली में राठौड़ जोरावर परिवार में 19 जनवरी 1940 में सोमवार के दिन हुआ था। उनका सांसारिक नाम ओटसिह था। पिता का नाम रावत सिंह और माता का नाम सिणगार कंवर था। 1 नवम्बर 1954 सोमवार के दिन दीक्षा ग्रहण की थी तथा 28 अक्टूबर 1968 को सोमवार के दिन सिरे मंदिर पीठ पर पीठाधीश के रूप में आसीन हुए थे। 1 अक्टूबर 2012 को सोमवार के दिन संसारी शरीर त्यागकर देवलोक हो गए। शान्तिनाथ महाराज के गुरू योगीराज केशरनाथ महाराज थे। महज 10 वर्ष की की अल्प आयु में योगी शांतिनाथ महाराज ने योगीराज केशरनाथ महाराज के चरणों का आश्रय पा लिया। बाद में सिरेमन्दिर पर वेश देकर आपको दीक्षीत किया और शान्तिनाथ नाम दिया। त्याग और तपस्या से गौरवान्वित इस तपोभूमि के पीठाधिश्वर बनने के पश्चात पीर शांतिनाथ ने अपनी क्षमता और अनुभव से अपने समस्त उत्तरदायित्व का निर्वाह करते हुए सिरेमन्दिर को सामाजिक श्रद्धा का केन्द्र बनाया।

कई जगह करवाया मंदिरों का निर्माण
भायल ने बताया कि पीर शांतिनाथ महाराज ने सिरेमन्दिर पर 7 दिवसीय महारूद्र यज्ञ करवाया। इसके साथ ही आपने केशरनाथ महाराज की तपोस्थली चितहरणी भागली को नया रूप दिया। वहां पर आपने केशरनाथ महाराज का मन्दिर, केशरनाथ महाराज की तपोस्थली भंवर गुफा का निर्माण, महादेव का मन्दिर और झालरे का निर्माण करवाया। इसके साथ ही कई गावों में जलंधरनाथ महाराज के मन्दिरों का निर्माण करवाया। पीर शांतिनाथ महाराज ने अपने जीवन काल में 30 चार्तुमास किए। सिरे मंदिर में कई बार चातुर्मास किए। इसके साथ ही बैरठ, चूरा, रेवतड़ा, विशनगढ़, बालवाड़ा, देबावास, चितहरणी, डगातरा, भागली, खांडप, जालोर भैरुनाथ अखाड़ा, जालोर दुर्ग, मोदरा, बोकड़ा आदि जगहों पर चातुर्मास किए।

व्यवस्थाओं में किया सहयोग
श्री नाथजी भक्त मंडल हुब्बल्ली के सदस्य खेतसिंह राठौड़, भवानीसिंह राठौड़, राणसिंह परमार, हरिसिंह राठौड़, लाखसिंह राठौड़, मदनसिंह दहिया, अर्जनसिंह दहिया, विक्रमसिंह भायल, महेन्द्रसिंह भाटी, राणसिंह दहिया, गोरखसिंह दहिया, देवीसिंह राठौड़, महेन्द्रसिंह राठौड़, राजूसिंह खींची, गणपतसिंह चौहान, ओबसिंह राठौड़, वेरसिंह सोलंकी, राजूसिंह दहिया, नैनसिंह चौहान समेत अन्य ने व्यवस्थाओं में सहयोग किया।