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दिव्यांग बच्चों संग बंधा प्रेम का अटूट धागा, मासूम चेहरों पर खिली मुस्कान

रक्षाबंधन के पावन अवसर पर इस बार प्रेम और अपनत्व का एक अनूठा उदाहरण देखने को मिला। भाई-बहन के इस पर्व में दिव्यांग बच्चों को भी समान खुशी और सम्मान मिले, इसी भावना के साथ प्रवासी महिलाएं उनके बीच पहुंचीं और उनकी कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा।

रक्षाबंधन के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) के एक दिव्यांग स्कूल में विद्यार्थी अपनी कलाई पर बंधी राखी दिखाते हुए। साथ में मरुदेवा सेवा समिति एवं मरुदेवा नेक्स्ट जनरेशन के सदस्य।
रक्षाबंधन के अवसर पर हुब्बल्ली (कर्नाटक) के एक दिव्यांग स्कूल में विद्यार्थी अपनी कलाई पर बंधी राखी दिखाते हुए। साथ में मरुदेवा सेवा समिति एवं मरुदेवा नेक्स्ट जनरेशन के सदस्य।

खुशियां बांटकर जीवन में रोशनी भरने का प्रयास
राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली, मरुदेवा सेवा समिति एवं मरुदेवा नेक्स्ट जनरेशन की संयुक्त मेेजबानी में आयोजित रक्षाबंधन महोत्सव में यह संदेश दिया कि त्योहारों की असली खूबसूरती तब है जब हम अपनी खुशियां बांटकर किसी के जीवन में रोशनी भरें। हुब्बल्ली (कर्नाटक) के न्यू गब्बुर रोड जैन दादावाड़ी के पास स्थित विश्वकर्मा महिला एवं मक्कल हैंडिकैप्ड स्कूल में प्रवासी समाज की महिलाओं ने दिव्यांग बच्चों के साथ रक्षाबंधन का पर्व हर्षोल्लास से मनाया। रक्षाबंधन का पर्व दिल को छू लेने वाला रहा। भाई-बहन के रिश्ते को मजबूती देने वाला यह त्योहार जब इन मासूम बच्चों के बीच पहुंचा, तो उनके चेहरे खुशी से खिल उठे। कार्यक्रम की शुरुआत में बच्चों के माथे पर कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाया गया तथा उनके स्वस्थ और सुखमय जीवन की कामना की गई। राखी बांधने के बाद मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराया गया और आरती उतारी गई। बच्चों के मनोरंजन के लिए उनकी पसंद के गीत भी सुनाए गए, जिससे माहौल उल्लास और भावनाओं से भर गया।

आंखों में उत्साह और चेहरे पर आत्मविश्वास
इस भावुक क्षण में कई मार्मिक दृश्य सामने आए। किसी बच्चे के दोनों हाथ नहीं थे, किसी का एक पैर नहीं था, किसी का हाथ टेढ़ा था, किसी की ऊंगलियां कम थीं, और कोई कम कद का था। शारीरिक कमी के बावजूद उनके चेहरे पर खुशी और आत्मविश्वास झलक रहा था। मरुदेवा सेवा समिति एवं मरुदेवा नेक्स्ट जनरेशन के इस प्रयास ने न केवल उनके दिलों में रक्षाबंधन की विशेष स्मृति बनाई, बल्कि समाज के सामने एक प्रेरणादायक संदेश भी दिया कि प्रेम और अपनापन किसी सीमा में बंधा नहीं होता। लेकिन इन कमियों के बीच भी दिव्यांगों की आंखों में उत्साह और चेहरे पर आत्मविश्वास झलक रहा था। तालियों और हंसी-खुशी के बीच यह आयोजन सिर्फ राखी का त्योहार नहीं, बल्कि मानवता, प्रेम और समानता का उत्सव बन गया।

दिलों को जोड़ता है राखी का धागा
समारोह की मुख्य अतिथि मरुदेवा सेवा समिति की अध्यक्ष मंजू मांडोत रेवतड़ा ने कहा कि रक्षा बंधन केवल भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार नहीं है, बल्कि यह प्रेम, विश्वास, और एक-दूसरे की रक्षा के संकल्प का प्रतीक है। राखी का धागा केवल कलाई पर नहीं बंधता, यह दिलों को जोड़ता है। यह हमें सिखाता है कि हम एक-दूसरे की मदद करें, एक-दूसरे का सम्मान करें और कभी भी हिम्मत न हारें। आपके सपने, आपकी मेहनत और आपकी उम्मीदें ही आपको आगे बढ़ाएंगी।

दिव्यांगों की कलाई पर रक्षा सूत्र
इस अवसर पर मरुदेवा सेवा समिति हुब्बल्ली की अध्यक्ष मंजू मांडोत रेवतड़ा के साथ ही प्रभा मुणोत, रेखा बंदामूथा, सविता भूरट, बिन्दू परमार, रेशिता मांडोत, कली शाह, निकिता मांडोत, कशवी मांडोत, जीनल डूमावत, मयूरी गोगड़ एवं भूवी शाह ने दिव्यांगों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधा। मरुदेवा नेक्स्ट जनरेशन के सदस्य सोहम, यूवाम एवं मीत ने दिव्यांगों को उपहार का वितरण किया। राजस्थान पत्रिका हुब्बल्ली के संपादकीय प्रभारी अशोक सिंह राजपुरोहित ने राजस्थान पत्रिका के सामाजिक सरोकार एवं रक्षाबंधन की महत्ता पर प्रकाश डाला। वार्डन वीरेश एस. हट्टी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। नवकार महामंत्र के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। बिन्दू परमार ने नवकार महामंत्र पढ़ा। कशवी मांडोत ने रक्षाबंधन पर्व की उपादेयता के बारे में बताया।