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Wisdom Teeth Pain : अक्ल दाढ़ का दर्द, सूजन और इन्फेक्शन से कैसे पाएं छुटकारा, जानें इलाज के तरीके

Wisdom Teeth Pain : क्या आप अक्ल दाढ़ के दर्द से पीड़ित हैं? अक्ल दाढ़ की सूजन, संक्रमण और दांत निकलवाने के कारण, लक्षण, घरेलू उपचार और सर्वोत्तम दंत उपचार जानें। जानें कब और कैसे सुरक्षित तरीके से निकलवाएं।

3 min read

भारत

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Manoj Vashisth

Oct 14, 2025

Wisdom Teeth Pain

Wisdom Teeth Pain : Causes, Symptoms & Treatment (फोटो सोर्स: oceandentalstudi)

Wisdom Teeth Pain : अक्ल दाढ़, जिसे हम विस्डम टूथ कहते हैं, हमारे मुंह में निकलने वाली सबसे आखिरी दाढ़ होती है। आमतौर पर यह दाढ़ 17 से 25 साल की उम्र के बीच निकलती है। यह वह समय होता है जब व्यक्ति समझदार (अक्लमंद) माना जाता है, इसीलिए इसे अक्ल दाढ़ कहा जाता है। हालांकि, इसका आपकी बुद्धिमत्ता से कोई सीधा संबंध नहीं है। कुछ लोगों में यह 25 की उम्र के बाद भी निकल सकती है।

हमारे मुंह में मुख्य रूप से चार अक्ल दाढ़ होती हैं दो ऊपरी जबड़े (Maxilla) में और दो निचले जबड़े (Mandible) में।

अक्ल दाढ़ क्यों बनती है 'विलेन'? | Akal Daad Ka Dard

जब अक्ल दाढ़ के आने का समय आता है, तब तक आपके मुंह में बाकी सारे दांत अपनी जगह ले चुके होते हैं। नतीजतन, नई दाढ़ के लिए जगह (Space) बहुत कम बचती है। इस कमी के कारण:

  • यह पूरी तरह से निकल नहीं पाती (Fully Impacted)।
  • यह टेढ़ी-मेढ़ी आती है।
  • या आधी-अधूरी निकलकर (Partially Impacted) मसूड़े में फंसी रह जाती है।
  • यह फंसाव ही दर्द और संक्रमण का मुख्य कारण बनता है।

आधुनिक खानपान और छोटे जबड़े:

विशेषज्ञों का मानना है कि आज की युवा पीढ़ी में अक्ल दाढ़ की समस्या बढ़ने का एक बड़ा कारण हमारा आधुनिक खानपान है।

पुराना खानपान: हमारे पूर्वज रेशेदार और सख्त चीजें (जैसे गन्ना, गाजर, चने) खाते थे, जिससे उनके जबड़े की अच्छी कसरत होती थी और जबड़े का आकार मजबूत व बड़ा होता था।

आधुनिक खानपान: आज की डाइट में सॉफ्ट, चिपचिपी और प्रोसेस्ड चीजें (जैसे पिज़्ज़ा, बर्गर, वेफर्स, डिब्बाबंद फूड्स) ज्यादा हैं, जिन्हें चबाने के लिए जबड़े को कम मेहनत करनी पड़ती है। इस वजह से, धीरे-धीरे हमारे जबड़े का आकार छोटा होता जा रहा है, जिससे अक्ल दाढ़ को निकलने के लिए पर्याप्त जगह नहीं मिल पाती। आनुवंशिक कारण और जबड़े में लगी कोई चोट भी वजह बन सकती है।

क्या हैं इसके मुख्य लक्षण?

जब अक्ल दाढ़ ठीक से नहीं निकल पाती और उसमें संक्रमण हो जाता है, तो आपको ये लक्षण दिख सकते हैं:

  • तेज और असहनीय दर्द (दर्द कभी-कभी कान, कनपटी या गले तक भी महसूस हो सकता है)।
  • दाढ़ या मसूड़े के आसपास सूजन।
  • मुंह खोलने में दिक्कत या मुंह का कम खुलना।
  • खाने या निगलने में परेशानी।
  • मसूड़ों से खून आना (Bleeding Gum)।
  • मुंह में बदबू (Bad Breath)।
  • बुखार और थकान महसूस होना।

इमरजेंसी की स्थिति:

निचले जबड़े की दोनों अक्ल दाढ़ में गंभीर संक्रमण कभी-कभी गले और मुंह में गंभीर सूजन पैदा कर सकता है, जिससे रोगी की जान को खतरा हो सकता है। इस खतरनाक स्थिति को सेल्युलाइटिस (Cellulitis) कहते हैं, जिसमें तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

कब निकलवाना है जरूरी?

अगर आपकी अक्ल दाढ़ सीधी है, कोई दर्द या संक्रमण नहीं कर रही है, और न ही पास वाले दांत को खराब कर रही है, तो इसे निकलवाना जरूरी नहीं है। हालांकि, आपको नियमित रूप से डेंटिस्ट से चेकअप कराते रहना चाहिए।

लेकिन इसे निकलवाना बेहतर क्यों माना जाता है?

सफाई में मुश्किल: अक्ल दाढ़ मुंह के सबसे कोने में होती है, जहां तक ब्रश का पहुंचना और ठीक से सफाई करना बहुत मुश्किल होता है।

बार-बार संक्रमण: खराब सफाई की वजह से बार-बार संक्रमण (Pericoronitis) होने का खतरा बना रहता है।

फूड पॉकेट: आधी-अधूरी निकली दाढ़ और मसूड़े के बीच एक 'पॉकेट' बन जाती है, जहां खाना फंस जाता है (Food Lodgement)। यह फंसा हुआ खाना संक्रमण और दांत सड़न (Dental Decay) का मुख्य कारण बनता है।

ईलाज का विकल्प:

कुछ 1-2% मामलों में, अगर दाढ़ सीधी है, मुंह पूरा खुलता है और जड़ें सीधी हैं तो रूट कैनाल जैसा ईलाज भी किया जा सकता है, लेकिन अधिकतर मामलों में इसे निकालना ही सबसे अच्छा समाधान होता है।

दांत निकालने की प्रक्रिया (Extraction)

अक्ल दाढ़ का निकालना अक्सर सामान्य दांत निकालने से थोड़ा मुश्किल होता है, क्योंकि यह टेढ़ी-मेढ़ी और कभी-कभी हड्डी में फंसी होती है।

तैयारी: निकालने से पहले, डेंटिस्ट पूरे जबड़े का एक्स-रे या सीटी स्कैन करते हैं। इससे दाढ़ की हड्डी में स्थिति, खासकर निचले जबड़े की नस (Mandibular Nerve) से उसकी दूरी का पता चलता है।

सर्जरी: यदि दाढ़ ज्यादा फंसी हुई हो, तो छोटी सर्जरी (Minor Surgery) करनी पड़ती है।

नर्व डैमेज का खतरा: अगर दाढ़ नस के बहुत करीब हो तो उसे अत्यंत सावधानी से निकाला जाता है ताकि नस को कोई नुकसान न पहुंचे।

कोरोनेक्टॉमी (Coronectomy): कुछ खास मामलों में (जब दाढ़ नस के बहुत पास हो और संक्रमण न हो), केवल दाढ़ के ऊपरी हिस्से (क्राउन) को काटकर निकाल दिया जाता है और जड़ को वहीं छोड़ दिया जाता है। कुछ समय बाद जब जड़ नस से दूर हो जाती है, तो उसे निकाला जा सकता है।

डिसक्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल जागरूकता के लिए है और यह किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे किसी भी दवा या उपचार को अपनाने से पहले विशेषज्ञ या डॉक्टर से सलाह लें।