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Google का AI करेगा कैंसर का इलाज! सुंदर पिचाई का बड़ा ऐलान

Google AI treatment for cancer : गूगल डीपमाइंड और येल यूनिवर्सिटी ने मिलकर Cell2Sentence-Scale 27B नामक एआई मॉडल बनाया है, जो कैंसर की कोशिकाओं की भाषा समझकर ‘कोल्ड ट्यूमर’ को ‘हॉट ट्यूमर’ में बदल सकता है। जानिए कैसे यह तकनीक कैंसर उपचार में नई उम्मीद जगाएगी।

2 min read

भारत

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Dimple Yadav

Oct 17, 2025

Google AI treatment for cancer

Google AI treatment for cancer (Photo- geminai)

Google AI treatment for cancer: विज्ञान जैसे-जैसे आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे कैंसर के इलाज में भी नई राहें खुल रही हैं। अब गूगल ने अपनी डीपमाइंड एआई (DeepMind AI) की मदद से कैंसर के उपचार में क्रांतिकारी प्रगति का दावा किया है। कंपनी का कहना है कि यह खोज कैंसर की जटिल कोशिकाओं की भाषा को समझकर इलाज का नया रास्ता खोलेगी। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इसे मील का पत्थर बताते हुए कहा कि यह तकनीक उन ट्यूमरों को पहचानने में मदद करेगी जो शरीर की इम्यूनिटी को चकमा दे देते हैं।

कैंसर इलाज में एआई की नई खोज

गूगल डीपमाइंड और येल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने मिलकर Cell2Sentence-Scale 27B (C2S-Scale 27B) नामक एआई मॉडल विकसित किया है। यह मॉडल गूगल के “Gemma” नामक ओपन-सोर्स एआई परिवार का हिस्सा है। 27 अरब पैरामीटर वाले इस मॉडल ने कैंसर कोशिकाओं के व्यवहार को समझने के लिए एक नई वैज्ञानिक परिकल्पना तैयार की, जिसे प्रयोगशाला में सही साबित भी किया गया।

अब तक इम्यूनोथेरेपी जैसी तकनीकें कैंसर ट्यूमरों को खत्म करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती हैं। लेकिन “कोल्ड ट्यूमर” नामक ट्यूमर इम्यून सिस्टम को पहचानने नहीं देते और इलाज को विफल बना देते हैं। गूगल का एआई इन ट्यूमरों की सटीक पहचान कर उन्हें “हॉट ट्यूमर” में बदलने में मदद करेगा, जिससे इम्यून सिस्टम उन्हें आसानी से नष्ट कर सकेगा।

एआई मॉडल का काम करने का तरीका

C2S-Scale मॉडल कोशिकाओं की “भाषा” को समझने के लिए बनाया गया है। यह जटिल जैविक डेटा का विश्लेषण कर यह पता लगाता है कि कौन-सी कोशिकाएं इम्यून सिस्टम से छिप रही हैं। एआई ने 4,000 से अधिक दवाओं के प्रभावों का अनुकरण (simulation) किया और यह खोजा कि कौन-सी दवाएं विशेष परिस्थितियों में प्रतिरक्षा प्रणाली की पहचान क्षमता को बढ़ा सकती हैं। इस प्रयोग से यह साबित हुआ कि कुछ दवाएं ट्यूमर को कोल्ड से हॉट में बदल सकती हैं, जिससे इलाज अधिक प्रभावी हो सकता है।

कोल्ड और हॉट ट्यूमर क्या होते हैं?

ट्यूमरों को दो प्रकारों में बांटा जाता है। कोल्ड और हॉट, कोल्ड ट्यूमर में बहुत कम इम्यून कोशिकाएं होती हैं, जिन्हें शरीर पहचान नहीं पाता, इसलिए ये इम्यूनोथेरेपी के दौरान भी छिपे रहते हैं। हॉट ट्यूमर में इम्यून कोशिकाएं अधिक सक्रिय होती हैं, जिससे शरीर इन्हें आसानी से पहचानकर खत्म कर देता है। गूगल डीपमाइंड की यह खोज इन कोल्ड ट्यूमरों को हॉट ट्यूमर में बदलने में मदद कर सकती है। इससे न केवल कैंसर के इलाज में सफलता बढ़ेगी बल्कि इम्यूनोथेरेपी जैसी आधुनिक तकनीकें और भी प्रभावी बनेंगी। यह एआई-आधारित शोध आने वाले समय में कैंसर से जंग का स्वरूप पूरी तरह बदल सकता है और चिकित्सा जगत में एक नई उम्मीद जगा सकता है।