Fake ORS controversy news|फोटो सोर्स – Patrika.com
Fake ORS News :अब हेल्थ ड्रिंक के नाम पर लोगों को गुमराह करना आसान नहीं होगा। FSSAI ने साफ कर दिया है कि ‘ORS’ शब्द का इस्तेमाल अब सिर्फ उन्हीं प्रोडक्ट्स के लिए किया जाएगा, जो WHO के मानकों पर खरे उतरते हैं। यह आदेश 14 अक्टूबर से लागू कर दिया गया है।इस फैसले की वजह यह है कि कई कंपनियां ‘ORS’ के नाम पर सामान्य एनर्जी ड्रिंक बेच रही थीं, जिससे लोगों को भ्रम हो रहा था और उनकी सेहत पर नकारात्मक असर पड़ सकता था।हैदराबाद की बच्चों की डॉक्टर डॉ. शिवरंजनी संतोष ने इसके लिए 8 साल तक संघर्ष किया। उन्होंने सरकारी संस्थाओं से लेकर हाईकोर्ट तक सभी जगह अपील की और अंततः कामयाबी हासिल की। जानिए पूरा मामला।
हैदराबाद की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. शिवरंजनी संतोष ने फेक ORS ड्रिंक्स के खिलाफ 8 साल लंबी कानूनी और सामाजिक लड़ाई लड़ी।उन्होंने CDSCO, FSSAI और हाईकोर्ट तक इस मामले को उठाया ताकि बच्चों की सेहत से खिलवाड़ रोका जा सके।सोशल मीडिया के जरिए भी उन्होंने लाखों लोगों को जागरूक किया और असली ORS की अहमियत बताई।
ORS यानी Oral Rehydration Salts एक ऐसा आसान-सा घोल होता है जो शरीर में पानी और जरूरी लवणों की कमी को पूरा करता है। खासकर जब किसी को दस्त, उल्टी या तेज गर्मी के कारण डिहाइड्रेशन हो जाए, तो यह घोल जान तक बचा सकता है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह किसी रामबाण इलाज से कम नहीं।WHO यानी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ORS का एक तय फॉर्मूला जारी किया है जिसमें एक लीटर साफ पानी में 6 चम्मच चीनी और आधा चम्मच नमक मिलाया जाता है। इसमें न कोई फ्लेवर होता है, न रंग, और न ही कोई अतिरिक्त केमिकल। यह शरीर में सोडियम, पोटैशियम और ग्लूकोज का संतुलन बनाकर पानी को जल्दी अवशोषित करने में मदद करता है।
कई कंपनियां ORS के नाम का गलत इस्तेमाल कर रही थीं। वे अपने फ्लेवर वाले ड्रिंक या एनर्जी पाउडर को ‘ORS ड्रिंक’ या ‘ORS पाउडर’ के नाम से बेच रही थीं। इनमें असली ORS की जगह चीनी की घटिया किस्म, आर्टिफिशियल फ्लेवर जैसे संतरा या नींबू का स्वाद और रंग मिलाया जाता था। लोग इसे असली ORS समझकर खरीद लेते थे, जबकि असल में यह शरीर को फायदा पहुंचाने की जगह नुकसान दे सकता था।गलत सामग्री से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे डिहाइड्रेशन और गंभीर हो सकता है।
FSSAI को शिकायतें मिल रही थीं कि बाजार में ORS के नाम पर ऐसे ड्रिंक्स बेचे जा रहे हैं, जिनसे लोग बीमार पड़ रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि कंपनियां 'ORS' जैसे मेडिकल शब्द का गलत इस्तेमाल कर रही थीं, जिससे उपभोक्ताओं को भ्रम होता था। असली ORS में WHO के तय मानकों के अनुसार जरूरी नमक और ग्लूकोज की मात्रा होती है, लेकिन कई प्रॉडक्ट्स इन शर्तों पर खरे नहीं उतरते। अब नए नियमों के तहत ग्राहक आसानी से पहचान सकेंगे कि पैक में असली ORS है या नहीं।
Updated on:
17 Oct 2025 10:44 am
Published on:
17 Oct 2025 10:38 am
बड़ी खबरें
View Allस्वास्थ्य
ट्रेंडिंग
लाइफस्टाइल