Cough Syrup death | प्रतीकात्मक फोटो | डिजाइन- पत्रिका
Cough Syrup Death News : कफ सिरप से लगातार बच्चों की मौत होने की खबर सामने आ रही है। राजस्थान और मध्य प्रदेश में 20 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है। इन मौतों के बाद कफ सिरप को लेकर भय दिख रहा है। लोग ये नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर कैसे खांसी की दवा (Cough Syrup), सांस रोकने की दवा बन गई। कफ सिरप को लेकर हमने डॉक्टर्स, मेडिकल स्टोर व कुछ लोगों से बातचीत की। आइए, समझते हैं कि ये कफ सिरप मौत का जरिया कैसे बन सकता है और हम इससे कैसे बच सकते हैं?
डॉ. ज्योति पटोदिया, बच्चों की डॉक्टर का कहना है कि खांसी की सिरप में खतरनाक चीजों का मिलाकर बेचना गलत है। डाइथेलेन ग्लाइकोल और एथेलाइन ग्लाइकोल जैसे सॉलवेंट दवा में नहीं होने चाहिए। खासकर, बच्चों की दवा में तो कतई नहीं। मैं ऐसी दवाओं को कभी भूलकर भी खाने की सलाह नहीं देती हूं। ये दवा में मिलाकर सरकारी अस्पताल में दिया जा रहा है तो कई संस्थानों पर सवाल खड़ा होता है। आखिर, ऐसी दवाओं को अप्रूवल कैसे मिल गया? इसका जवाब तो अधिकारिक व्यक्ति ही दे सकता है।
इसको लेकर डॉ. हिमांशु गुप्ता, वरिष्ठ फिजिशियन कहते हैं, कफ सिरप में सॉल्वेंट, प्रिजर्वेटिव्स और स्टेरॉयड भी होते हैं। ये अपने आप में जोखिम भरे होते हैं। इनको बिना सलाह के दिया ही नहीं जाना चाहिए।
जिस कफ सिर से बच्चों की मौत हुई उसमें डाइथेलेन ग्लाइकोल (DEG) और एथेलाइन ग्लाइकोल (EG) जैसे सॉल्वेंट पाए गए। ये पेंट, प्लास्टिक आदि के लिए यूज किए जाते हैं। मेडिकल में इनका इस्तेमाल एक प्रकार से बैन ही है।
डॉ. हिमांशु कहते हैं, अगर आम भाषा में समझाने के लिए कहूं तो खांसी की सिरप दिमाग पर असर करती है। ताकि खांसना कम हो। बच्चों को सिरप देने से बचना चाहिए। अगर वो 5 साल कम है तो खुद से कोई भी दवा ना दें।
कुछेक मेडिकल स्टोर वालों ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कई बार हम सिरप बदल देते हैं। कई बार लोग कहते हैं कि आप ही दे दें कोई कफ सिरप, जितना डॉक्टर साहब को फीस देंगे उतने में दवाई आ जाएगी। ऐसे में हम दवा दे देते हैं।
इस पर डॉ. हिमांशु कहते हैं कि लोगों को इस तरह की लापरवाही करने से बचना चाहिए। क्योंकि, खांसी कई प्रकार की होती है। अलग-अलग खांसी की अलग-अलग दवा है। उसी तरह डोज भी निर्धारित की जाती है। इसलिए, जब आप अपने मन से दवा ना दें।
डॉ. ज्योति कहती हैं कि कई बार लोग घर पर पड़ी कफ सिरप को थोड़ा कम करके बच्चों को पिला देते हैं। इस पर डॉ. हिमांशु कहते हैं कि लोग मानते हैं कि कोई भी खांसी की दवा पिलाने से खांसी ठिक हो जाएगी। मगर, ऐसा करने से किडनी फेल हो सकती है, नींद अधिक आने से भी दिक्कत हो सकती है, धड़कने कम या अधिक हो सकती हैं। अगर डोज अधिक हुआ तो बच्चों की जान भी जा सकती है। इसलिए, बेहतर है कि एक बार डॉक्टर से सलाह लेकर दवा लें। दवा खरीदने के बाद भी डॉक्टर या उनके कंपाउड दिखा लें।
Published on:
08 Oct 2025 06:06 pm
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