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खाली कुर्सियां, स्क्रीन पर धन-धान्य की धूम, मंडी में लग रहा 3000 तक का फटका

हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर जंक्शन मंडी परिसर में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के लोकार्पण कार्यक्रम का स्क्रीन पर लाइव प्रसारण किया गया।

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खाली कुर्सियां, स्क्रीन पर धन-धान्य की धूम, मंडी में लग रहा 3000 तक का फटका

खाली कुर्सियां, स्क्रीन पर धन-धान्य की धूम, मंडी में लग रहा 3000 तक का फटका

-प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना शुरू, बदहाल किसानों ने जंक्शन मंडी में आयोजित कार्यक्रम से बनाई दूरी
-एमएसपी पर फसल नहीं बिकने से व्यथित नजर आए किसान
हनुमानगढ़. जिला मुख्यालय पर जंक्शन मंडी परिसर में शनिवार को आयोजित कार्यक्रम में प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना के लोकार्पण कार्यक्रम का स्क्रीन पर लाइव प्रसारण किया गया। गांवों में खेती की तस्वीर बदलने को लेकर शुरू गई विभिन्न योजनाओं के लोकार्पण कार्यक्रम को पीएम नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। देश में 42000 करोड़ की कृषि सुधार योजनाओं के शुभारंभ को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर किसानों और व्यापारियों को आमंत्रित किया गया था। परंतु कार्यक्रम शुरू होने के करीब एक घंटे बाद भी कार्यक्रम स्थल पर अधिकांश कुर्सियां खाली नजर आई। कृषि विभाग व मंडी समिति के अधिकारियों के अलावा इक्के-दुक्के व्यापारी तथा किसान ही कार्यक्रम में शामिल हुए। हालांकि इस दौरान मंडी समिति हनुमानगढ़ के सचिव विष्णुदत्त शर्मा लगातार मंच से किसानों व व्यापारियों से कार्यक्रम में शािमल होने का आग्रह करते रहे। लेकिन व्यापारी व किसान फसल की बोली लगाने में व्यस्त रहे। पीएम नरेंद्र मोदी ने लाइव प्रसारण के दौरान 36 के आंकड़े का कई बार जिक्र किया। कार्यक्रम स्थल पर जिस तरह से व्यापारियों व किसानों ने दूरी बनाए रखी, उससे 36 के आंकड़े की कार्यक्रम स्थल पर चर्चा होती रही। मंडी में फसल बेचने आए किसानों का कहना था कि धन-धान्य कृषि योजना हो या फिर किसान सम्मान निधि, सरकारें यदि किसानों का भला चाहती है तो पहले उन्नत बीज दे। इसके बाद सरकार मंडी में फसल लाने पर उसका उचित मोल किसानों को दिलाए। सरकार यह दो काम कर ले तो किसानों के लिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है। एक किसान ने बताया कि इस समय जंक्शन मंडी में धान, कपास और मूंग की अच्छी आवक हो रही है। लेकिन हमारी इन फसलों को उचित तो दूर न्यूनतम मूल्य पर खरीदने वाला भी कोई नहीं है। धान का एमएसपी 2300 रुपए से अधिक है। लेकिन किसानों को मजबूरी में 1700 से 2000 रुपए प्रति क्विंटल बेचना पड़ रहा है। प्रति क्विंटल चार से पांच सौ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। मूंग की फसल करीब 3000 रुपए प्रति क्विंटल कम रेट पर बेचनी पड़ रही है। कपास भी एमएसपी पर खरीदने को सीसीआई तैयार नहीं। भाजपा नेता अमित सहू, व्यापार मंडल हनुमानगढ़ अध्यक्ष कुलवीर सिंह, हम्माल संघ अध्यक्ष सतपाल, व्यापार मंडल हनुमानगढ़ के पूर्व अध्यक्ष प्यारेलाल, प्रमुख धा उत्पादकों में दिनेश कुमार, व्यापारी सुभाष सिंगला, राजेन्द्र कुमार, कृषि विभाग से अधिकारी सुभाष डूडी, कुलवंत सिंह, संदीप जाखड़, मंडी समिति के लेखाधिकारी मांगीलाल शर्मा आदि मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन समाजसेवी भीष्म कौशिक ने किया। वहीं कृषि उपज मंडी समिति हनुमानगढ़ के सचिव विष्णुदत्त शर्मा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि कार्यक्रम का प्रसारण मंडी यार्ड में प्लेटफार्म संख्या चार पर किया गया। जहां धान की बोली के साथ एलईडी पर चल रहे इस प्रसारण को किसानों व व्यापारियों ने सुना।

छह वर्ष में उत्पादन दोगुना करने का प्रयास
हनुमानगढ़ जंक्शन मंडी में दिखाए गए लाइव कार्यक्रम में पीएम मोदी ने 11440 करोड़ की लागत से शुरू किए गए दलहन मिशन की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छह वर्ष में दलहन उत्पादन को दोगुना करने का प्रयास रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि नई योजना को लेकर जिला स्तर पर सभी कलक्टर को स्थानीय जलवायु के आधार पर कार्य योजना बनाने के लिए कहा गया है। इसमें अफसरों का अहम रोल रहेगा। अफसरों से कहा कि आप लोग हर जिले में हर गांव और हर खेत के हिसाब से प्लानिंग करेंगे तभी योजनाओं का जमीनी लाभ किसानों तक पहुंच सकेगा। पीएम ने कहा कि गांवों में खेती की तस्वीर बदलते ही वहां अर्थव्यस्था खुद बदल जाएगी।

क्या करें, मजबूरी में बेच रहे
हमने इस बार खेत में धान की फसल लगाई थी। उत्पादन तो ठीक हुआ है। लेकिन मंडी में एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही है। हम फसल लेकर मंडी में बैठे हैं। लेकिन सरकार का कोई नुमाइंदा सरकारी भाव पर खरीदने को तैयार नहीं है। मजबूरी में चार से पांच सौ रुपए कम भाव पर धान की फसल बेच रहे हैं।
-सुभाष गोदारा, किसान, गांव नूरपुरा, हनुमानगढ़

उचित दूर, न्यूनतम के लाले
मंडियों में किसी फसल की एमएसपी पर खरीद नहीं हो रही। सरकार किसानों का भला चाहती है तो हमें उन्नत बीज देकर हमारी फसल को एमएसपी पर खरीदना शुरू कर दे। यह दो काम करने के बाद चाहे कुछ करे या नहीं करे। किसानों को कुछ सहारा मिल जाएगा। परंतु हकीकत में स्थिति अलग है। सरकारें उचित मोल का दावा करती है लेकिन न्यूनतम मोल भी किसानों को दे पा रही है।
-कुलदीप कुमार, किसान, हनुमानगढ़