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जज पर जूता फेंकने वाले वकील पर एक्शन, जानिए और किन गलतियों पर सुप्रीम कोर्ट में वकीलों पर होता है एक्शन

कोर्ट में आरोपी के साथ ही वकीलों पर भी कार्रवाई का प्रावधान है। अगर कोई वकील कोर्ट के बनाये गए नियमों को नहोइ मानता है या उसकी अवेलना करता है तो उसे कोर्ट सजा देती है। आइये जानते हैं कि किन मामलों में वकील पर हो सकती है कार्रवाई।

2 min read

भारत

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Anurag Animesh

Oct 16, 2025

Supreme Court

Supreme Court(Image-Official)

हाल ही में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में कार्यवाही के दौरान जज पर जूता फेंक दिया। इस घटना के बाद कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने शिकायत दर्ज कराइ थी। जिसके बाद वकील राकेश किशोर से पुलिस ने तीन घंटे पूछताछ की। जिसके बाद उन्हें छोड़ दिया गया है। जिसके बाद से लगातार उनपर कार्रवाई की मांग हो रही थी। अब इस मामले में एक्शन लिया गया है।

इस मामले में अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने कोर्ट अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15 के तहत अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की सहमति दी दी है। हालांकि इस घटना के तुरंत बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने वकील राकेश किशोर का लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अब किशोर के खिलाफ अवमानना का केस चलयेगी।

क्या था मामला?


यह मामला तक शुरू होता है जब खजुराहो के जावरी मंदिर में क्षतिग्रस्त भगवान विष्णु की मूर्ति के पुनर्निर्माण की याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इस मामले में सुनवाई के दौरान CJI गवई ने इसे पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन बताया था। उन्होंने कहा था कि जाकर खुद भगवान से कहो कि कुछ करो। अगर तुम भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, तो प्रार्थना करो और ध्यान लगाओ। जिसके बाद राकेश किशोर ने इसे अपनी आस्था का अपमान माना था और उसके बदले में कार्यवाही के दौरान CJI पर जूता फेंक दिया था।

कोर्ट में वकीलों पर किन मामलों में कार्रवाई हो सकती है

अदालत की अवमानना (Contempt of Court)
कोर्ट में जो सबसे बड़ा जुर्म है, वो है अदालत के आदेशों की अवहेलना करना, जज या न्यायिक अधिकारी के प्रति असम्मानजनक व्यवहार करना। इस तरह के मामले में उस वकील पर कार्रवाई की जा सकती है।

अनुचित आचरण (Misconduct)
वकील पर अनुचित आचरण करने के कारण भी कार्रवाई हो सकती है। जिसमें क्लाइंट से झूठ बोलना, गलत तरीके से पैसा लेना या केस से संबंधित दस्तावेजों में हेरफेर करना जैसे मामले शामिल हैं। ऐसे मामलों में भी कार्रवाई हो सकती है।

राजनीतिक या हिंसक गतिविधियों में शामिल होना
न्यायिक कार्य के दौरान वकीलों को राजनीतिक नारेबाजी, हड़ताल या हिंसा जैसे कार्यों से दूर रहने के निर्देश होते हैं। इस तरह के मामले में भी कार्रवाई हो सकती है।

न्यायालय की कार्यवाही में बाधा डालना
न्यायालय की कार्यवाही के दौरान जज को धमकाना, बहस के दौरान अभद्र भाषा का प्रयोग करना या न्यायिक प्रक्रिया को बाधित करना, ये सभी अदालत की अवमानना में आता है। ऐसे मामलों में कार्रवाई होती है।

पेशेवर आचार संहिता का उल्लंघन
कोर्ट में काम करने के लिए कुछ नियम और तरीका तय किया गया है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने वकीलों के लिए एक "कोड ऑफ एथिक्स" तय किया है, जिसका उल्लंघन अनुशासनात्मक कार्रवाई का आधार बन सकता है।