विद्यार्थियों को बड़ी राहत देते हुए स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने प्रदेश बोर्ड 10वीं (एसएसएलसी) और 12वीं (द्वितीय पीयू) परीक्षा के उत्तीर्णांक में बदलाव किया है। विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होने के लिए 35 फीसदी के बजाय कम-से-कम 33 फीसदी अंक लाने होंगे।
स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्री मधु बंगारप्पा ने बुधवार का एक संवाददाता सम्मेलन में इसकी घोषणा की। नई व्यवस्था अकादमिक वर्ष 2025-26 से लागू होगी। विद्यार्थियों को एसएसएलसी परीक्षा में अब 625 में से कम-से-कम 206 और द्वितीय पीयू परीक्षा में 600 में से 198 अंक हासिल करने होंगे।
बदले हुए नियमों के मुताबिक, उत्तीर्ण होने का मानदंड आंतरिक मूल्यांकन ( इंटरनल असेसमेंट) और लिखित परीक्षा (एक्सटर्नल एग्जाम) के औसत अंकों पर आधारित होगा। विद्यार्थियों को कुल मिलाकर कम-से-कम 33 फीसदी और हर विषय में कम-से-कम 30 अंक लाने होंगे।
मंत्री ने बताया कि सरकार ने पहले उत्तीर्णांक कम करने के प्रस्ताव पर जनता से राय मांगी थी। 33 फीसदी नियम के पक्ष में 701 खत और 35 फीसदी बनाए रखने के पक्ष में 8 खत मिले। जवाब के आधार पर उत्तीर्णांक में बदलाव किया गया।
एसएसएलसी SSLC के लिए, जो विद्यार्थी पहली भाषा को छोड़कर 625 में से 206 या उससे ज्यादा अंक लाएंगे, उन्हें उत्तीर्ण माना जाएगा। द्वितीय पीयू PU के विद्यार्थियों के लिए, उत्तीर्ण होने के लिए 600 में से कुल 198 अंक जरूरी होंगे।जिन विषयों में प्रैक्टिकल या इंटरनल असेसमेंट नहीं है, उनमें विद्यार्थियों को लिखित परीक्षा में 80 में से कम -से-कम 24 अंक लाने होंगे। इंटरनल या प्रैक्टिकल कॉम्पोनेंट वाले विषयों में, विद्यार्थियों को लिखित परीक्षा में 70 में से 21 अंक लाने होंगे।
मंत्री ने कहा कि इस कदम का मकसद राज्य के शिक्षा मानकों को राष्ट्रीय स्तर के मूल्यांकन मानदंड के हिसाब से लाना और विद्यार्थियों पर अकादमिक दबाव कम करना है।
Published on:
16 Oct 2025 07:32 pm
बड़ी खबरें
View Allबैंगलोर
कर्नाटक
ट्रेंडिंग