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पीपीपी मॉडल के तहत सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की योजना की आलोचना

शिक्षा और विशेषकर चिकित्सा शिक्षा बिक्री की वस्तु नहीं है, बल्कि एक सामाजिक अधिकार है जिसे सरकार को स्वयं सुनिश्चित करना होगा।

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अखिल भारतीय लोकतांत्रिक छात्र संगठन (एआइडीएसओ) ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल के उस कथित बयान की आलोचना की है, जिसमें उन्होंने कहा था कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत छह नए सरकारी मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है।

एआइडीएसओ मैसूर के जिला सचिव नितिन ने कहा कि यह प्रस्ताव, शिक्षा, विशेषकर चिकित्सा शिक्षा के निजीकरण, व्यावसायीकरण और निगमीकरण की दिशा में एक और कदम है। विकास के नाम पर पीपीपी मॉडल, सार्वजनिक संसाधनों को निजी मुनाफाखोरों को सौंपने का एक जरिया मात्र है।

उन्होंने कहा, शिक्षा और विशेषकर चिकित्सा शिक्षा बिक्री की वस्तु नहीं है, बल्कि एक सामाजिक अधिकार है जिसे सरकार को स्वयं सुनिश्चित करना होगा। कॉर्पोरेट लॉबी और अन्य लोगों के हुक्मों के आगे झुकने के बजाय, सरकार को पूरी तरह से सरकारी चिकित्सा संस्थानों को मजबूत और विस्तारित करने के लिए सरकारी खजाने से पर्याप्त धनराशि आवंटित करनी चाहिए।