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महापुरुषों के गुणगान से आत्मा बनती है पवित्र : वरुण मुनि

गुजराती जैन संघ गांधीनगर में विराजित डॉ वरुण मुनि ने धर्मसभा में कहा कि महापुरुषों के गुणगान, नाम स्मरण करने से भी हमारी जिव्हा पवित्र बनती है और आत्मा में शुभ भावों का संचार होता है। जिससे हमारी आत्मा भी पवित्र, निर्मल और शुद्ध बनती है।मुनि ने कहा कि वर्ष 2012 से प्रति वर्ष अमर […]

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गुजराती जैन संघ गांधीनगर में विराजित डॉ वरुण मुनि ने धर्मसभा में कहा कि महापुरुषों के गुणगान, नाम स्मरण करने से भी हमारी जिव्हा पवित्र बनती है और आत्मा में शुभ भावों का संचार होता है। जिससे हमारी आत्मा भी पवित्र, निर्मल और शुद्ध बनती है।मुनि ने कहा कि वर्ष 2012 से प्रति वर्ष अमर मुनि की प्रेरणा से शिव जन्म जयंती के अवसर पर सितम्बर माह में विश्व शांति जप महोत्सव का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष नौ महान महापुरुषों, मुनियों के अभिनंदन का हमें सुअवसर मिल रहा है। 5 अक्टूबर को सरदार पटेल भवन वसंत नगर में उप प्रवर्तक पंकज मुनि के सानिध्य में विश्व शांति जप और नौ मुनियों के अभिनंदन गुणगान का आयोजन वृहद स्तर पर किया जाएगा। जिन महापुरुषों का स्मरण अर्चन-अभिनंदन किया जाएगा, उनमें सर्व प्रथम श्रमण संघ के प्रथम पट्टधर आचार्य आत्माराम हैं। वे एक ज्ञान-ज्योति संपन्न महापुरुष थे।

उनकी ज्ञान चेतना में जैन और जैनेत्तर वांग्मय की विशाल ज्ञान राशियां लहलहाती थी। इसीलिए उनको जगत ने आगम महोदधि और आगम रत्नाकर तुल्य श्रेष्ठ अलंकरणों से अलंकृत किया था। उनके दिशा -दर्शन में अधिकांश स्थानकवासी मुनि परंपराएं एक सूत्र में बद्ध होकर एकाकार हुई। संप्रदाय सरिताओं के मिलन से श्रमण संघ नामक महान संघ का उदय हुआ। आचार्य सकल गुणों के धाम और अनुपममेय महापुरुष थे। उप प्रवर्तक पंकज मुनि ने मंगल पाठ प्रदान किया।