एस.एस.जैन ट्रस्ट, जयनगर संघ में विराजित साध्वी अणिमाश्री ने कहा कि संत मिश्रीमल हमारे संघ व समाज की गरिमा और धरोहर रूप हैं। वे एक यशस्वी प्रवचनकार थे। उनका सूत्र एक ही रीति, एक ही आवाज, जगमग चमके जैन समाज था। आज का दिन श्रद्धा-भक्ति प्रेषित करने का दिन है। वे सुलझे हुए विचारों के धनी थे। हम सभी के हृदय मे भगवान के रूप में स्थापित हैं। सौ वर्षों के पश्चात जिन्हें स्मरण करते हैं, वे अमर हो जाते हैं। इतिहास में लिखा है कि भगवान से बढ़कर गुरू ही होते हैं। वे जिनशासन के उजियारे, मानवता के मसीहा थे।
साध्वी दिव्ययशा ने कहा कि महापुरुष का जीवन खुली किताब है। संत मिश्रीमल ने श्रमण संघ को मजबूती दी। वे सत्य-अहिंसा के परिपालक थे। जीवनभर लोगों को सही दिशा, सही मार्गदर्शन किया। छत्तीस कौम के लोग उनके प्रति समर्पित थे। उनकी ज्ञान की साधना, चारित्र की साधना इतनी निर्मल-उज्जवल थी कि वे व्यक्ति के नब्ज को स्वभाव को पहचानते थे। संघ के हित में अपना पूरा जीवन समर्पित किया।साध्वी कंचन कंवर ने अंजलि मेहता को 9 उपवास के प्रत्याख्यान कराए। संघ के मंत्री पदमचंद बोहरा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रचार-प्रसार मंत्री सागर बाफना ने बताया कि सुरेश छल्लानी, भंवर लाल, महेंद्र गन्ना आदि ने भागीदारी निभाई।
Published on:
09 Aug 2025 07:24 pm