
बेंगलूरु. सुमतिनाथ जैन संघ, यलहंका के तत्वावधान में चातुर्मासार्थ विराजित ज्ञान मुनि के सान्निध्य में मरुधर केसरी संत मिश्रीमल की जयंती और संत रूपचंद रजत की जयंती और पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर ज्ञान मुनि ने कहा कि तीर्थ करने के लिए कोई गंगा जाता है तो कोई चार धाम जाता है। तीर्थ का एक फल मिलता है लेकिन अगर संत मिलते हैं तो उसका चार फल मिलता है|। संत के मिलने से सभी प्रकार की दुविधा दूर हो जाती है। सतगुरु मिलें तो अनंत फलों की प्राप्ति होती है। ऐसे ही महापुरुषों को आज याद करने का दिन आया है। गुरु के दिखाए मार्गों पर चलने वाला अपने बंध कर्मों से मुक्त हो सकता है। मनुष्य को सही मार्ग पर पहुंचाने के लिए ही महापुरुषों की जयंती मनाई जाती है।मौके पर केजीएफ से अशोक कुमार बोहरा, चिकबल्लापुर से उत्तमचंद कोठारी, उगम राज लुणावत, माणिकचंद खारीवाल, प्रेमचंद कोठारी, नेमीचंद चौरडिया, मंगलचंद मुणोत, मांगीलाल चोरडिया, जयंतीलाल अखावत, राकेश कोठारी, अल्केश धोका आदि मौजूद थे। स्वागत संघ संयोजक नेमीचंद लुकड़ ने किया। महामंत्री मनोहरलाल लुकड़ ने संचालन किया।
Published on:
11 Aug 2025 06:22 pm
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