
सीरवी समाज, कर्नाटक बलेपेट वडेर में विराजित आचार्य भगवान दास ने प्रवचन में कहा कि आज के दौर में मानव में सहनशीलता खत्म होती जा रही है। आज का व्यक्ति जब बड़ा हो जाता है तो उसे सम्मान की अपेक्षा होती है और जब वह नहीं मिलता तो वह सहन नहीं कर पाता। सहनशीलता का गुण बड़ों में होना आवश्यक है, तभी वे आगे बढ़ सकते हैं।आचार्य ने कहा कि हमारे वर्तमान भाव यह संकेत दे देते हैं कि हमारा अगला जन्म कैसा होगा। जैसे दूध से हम चाहें तो चाय, खीर, पनीर, दही या छाछ बना सकते हैं, उसी तरह हमारा आत्म-उपयोग तय करता है कि हम संसार की ओर जाएंगे या मोक्ष की ओर। हमें पसंद शांति है, लेकिन हम बचाव क्रोध का करते हैं। यही कारण है कि जो हमें चाहिए वह नहीं मिलता और जो नहीं चाहिए वह मिल जाता है। मौके पर संस्था के अध्यक्ष हरिराम गेहलोत, सचिव अमराराम चोयल, कोषाध्यक्ष मोतीराम लचेटा, राजूराम बर्फा आदि मौजूद थे।
Published on:
11 Aug 2025 06:18 pm
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