खतरनाक हो सकता है कफ सिरप, फोटो मेटा एआइ
खांसी से निजात पाने के लिए ऐलोपैथिक दवा यानी कफ सिरप से राजस्थान और मध्य प्रदेश में भले ही बच्चों की मौतों ने हड़कंप मचा दिया हो। लेकिन जिले में स्वास्थ्य अमला अभी नहीं चेता है। चित्तौड़गढ़ जिले के अधिकांश मेडिकल स्टोर पर सरेआम बिना डॉक्टरों की पर्ची के लोगों को कफ सिरप बेचे जा रहे हैं। कई जगह तो चिकित्सकों की ओर से लिखे गए सिरप की जगह दूसरी कंपनी के सिरप बेचे जा रहे हैं। जिले में हर कफ सिरप का करोड़ों रुपए का कारोबार हो रहा है। जिले में प्रतिदिन करीब बीस लाख रुपए की कफ सिरप की बिक्री हो रही है।
पत्रिका टीम ने इस मामले में कई मेडिकल स्टोर पर जाकर देखा तो यही हाल देखने को मिला। वहीं कफ सिरप के सेवन से बच्चों की हो रही मौतों के संबंध में लोग भी इस पर जागरूक होते नहीं दिखे। मध्यप्रदेश में तो इस सिरप से बच्चों की किडनी तक फेल हो चुकी है। बच्चों के बीमार होने पर लोग मेडिकल स्टोर पर जाकर सीधे दवाएं लेते दिखाई दिए। मौसम में थोड़ी ठंडक घुली तो लोगों में छाती में कफ जमने की शिकायतें बढ़ गई। ऐसे में मेडिकल स्टोर संचालक अपनी मर्जी की कंपनी की दवा बेच रहे हैं।
चित्तौड़गढ़ जिले में हर दवा दुकान पर कफ सिरप की जमकर बिक्री हो रही है। जिले में करीब पांच सौ लाइसेंसी दुकानदार हैं। हर दुकान पर प्रतिदिन करीब तीस से पैंतीस कफ सिरप बिक रही हैं। कफ सिरप के करीब दस से अधिक प्रोडक्ट हैं। जिले में प्रतिदिन सोलह हजार से ज्यादा कफ सिरप बिक रही हैं। एक सिरप की कीमत 110 से 280 रुपए तक है। औसतन 125 रुपए एक शीशी की कीमत आंकी जाए तो यह पूरे जिले में आंकड़ा करीब बीस लाख रुपए प्रतिदिन बनता है। विक्रेताओं का मानना है कि जैसे-जैसे सर्दी बढ़ेगी, वैसे-वैसे कफ सिरप की बिक्री में भी इजाफा होगा।
पत्रिका टीम ने दवा की दुकानों पर जाकर बोला कि खांसी की दवा दें। कफ सिरप के तीन प्रोडक्ट दिखाए। इन तीनों के रंग और स्वाद अलग-अलग बताए गए। दुकानदार ने सवाल किया कि खांसी सूखी है या बलगम वाली है। सूखी खांसी बताई तो एक कंपनी विशेष की सिरप बेहतर बताई। इस शीशी पर 119.50 रुपए मूल्य अंकित था। इसके दाम 110 रुपए बताए गए। चिकित्सक की बिना पर्ची दवा देने के सवाल पर दुकानदार ने दो टूक जवाब दिया कि इस दवा के लिए पर्ची की आवश्यकता नहीं है। पत्रिका टीम ने कलक्ट्रेट चौराहा क्षेत्र में मेडिकल स्टोर पर कफ सिरप की मांग की। इन दुकानों पर भी बिना चिकित्सकीय परामर्श के मेडिकल स्टोर संचालक खुद ही लोगों को कफ सिरप बेचते दिखे। जबकि नियमानुसार चिकित्सक की पर्ची के बिना दवाइयों का विक्रय नहीं किया जाना चाहिए। शैडयूल एच श्रेणी की दवाइयो में यह तो नियम ज्यादा सख्त है।
Published on:
13 Oct 2025 10:52 am
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