
श्रीडूंगरगढ़. बीकानेर. मूंगफली उत्पादन में एशिया के सबसे बड़े ब्लॉक श्रीडूंगरगढ़ क्षेत्र में फर्जी गिरदावरी का बड़ा मामला सामने आया है। जांच में पाया गया कि कई बारानी खेतों को सिंचित दिखाकर बाजरा, मोठ और ग्वार की जगह मूंगफली की फसल अंकित कर दी गई। सरकारी समर्थन मूल्य का लाभ उठाने के लिए यह फर्जीवाड़ा बड़े स्तर पर किया गया है। इससे न केवल पात्र किसान गिरदावरी से वंचित रह गए, बल्कि कई किसानों को तो इस बात की जानकारी तक नहीं कि उनके खेत की गिरदावरी में मूंगफली दर्ज है।
किसानों को नहीं पता, खेतों में ट्यूबवेलतक नहीं
राजस्थान पत्रिका संवाददाता की ओर से इंदपालसर, गुसाईंसर और सूडसर गांवों में किए गए मौके निरीक्षण के दौरान किसानों ने बताया कि उनके खेत पूरी तरह बारानी हैं और उन्होंने ग्वार, मोठ व बाजरे की बुआई की हुई है।
किसान कुंभसिंह कहते हैं, हम बाहर रहते हैं और खेत में काश्तकार खेती करता है। गिरदावरी कब हुई, इसकी हमें जानकारी ही नहीं। इसी तरह कानूसिंह ने बताया कि उनके आस-पास भी किसी खेत में ट्यूबवेल नहीं है, जबकि गिरदावरी में सिंचित भूमि और मूंगफली की फसल दर्शाई गई है।जगदीश कहते हैं हमारे खेत में ट्यूबवेल नहीं, फिर मूंगफली की बुआई कैसे संभव है?
जांच की मांग तेज, प्रशासन पर उठे सवाल
श्रीडूंगरगढ़ ब्लॉक एशिया का सबसे बड़ा मूंगफली उत्पादन क्षेत्र है। ऐसे में बड़े स्तर पर फर्जी गिरदावरी सामने आना प्रशासनिक निगरानी पर सवाल खड़े करता है। भारतीय किसान संघ ने उपखंड अधिकारी को ज्ञापन सौंपकर पूरे मामले की जांच की मांग की है। तहसील अध्यक्ष बजरंग धारणियां ने कहा कि कुछ हल्कों में तो बंजर भूमि पर भी मूंगफली की गिरदावरी अंकित कर दी गई है। अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए यह खेल हुआ है।
राजनीतिक हलचल भी
कांग्रेसी नेता हेतराम जाखड़ ने कहा, मूंगफली गिरदावरी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। इससे मेहनतकश किसानों को नुकसान पहुंचा है। पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई हो।
हड़बड़ाए एसडीएम पहुंचे मौके पर
फर्जी गिरदावरी की शिकायत के बाद शुक्रवार को उपखंड अधिकारी शुभम शर्मा मौके पर पहुंचे और ग्रामीण क्षेत्रों में जांच की। उन्होंने कहा, गिरदावरी जैसे महत्वपूर्ण कार्य में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषी कार्मिकों के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई होगी। इस दौरान तहसीलदार श्रीवर्द्धन शर्मा भीमौजूद रहे।
लाखों का गड़बड़झाला, संगठित गिरोह का अंदेशा
इस फर्जीवाड़े के पीछे संगठित गिरोह होने की आशंका जताई जा रही है। वर्तमान में मूंगफली का बाजार मूल्य करीब 5000-5500 रुपए प्रति क्विंटल है, जबकि सरकारी समर्थन मूल्य 7263 रुपए प्रति क्विंटल है।एक फर्जी गिरदावरी से 40 क्विंटल मूंगफली बेचने पर करीब 80,000 रुपए का अतिरिक्त मुनाफा संभव है। यही वजह है कि कुछ लोगों ने बारानी खेतों को सिंचित दिखाकर फर्जी गिरदावरी का सहारा लिया।
ऐसा भी हुआ
जानकारों के अनुसार, गिरदावरी के दौरान पटवारी को खेत पर जाकर लोकेशन सहित लाइव फोटो अपलोड करनी होती है। लेकिन कई स्थानों पर यह प्रक्रिया कागज़ों में ही निपटा दी गई। किसान ओमप्रकाश जाखड़ (इंदपालसर गुसाईंसर) बताते हैं कि कुछ लोगों ने मूंगफली फसल की एचडी तस्वीरों या पोस्टरों का उपयोग करके फोटो अपलोड कर दी, जिससे सिस्टम में फर्जी गिरदावरी दर्ज हो गई। वास्तविक किसानों की गिरदावरी अब तक ऑनलाइन नहीं चढ़ाई गई, जबकि जुगाड़बाजों ने फोटो एडिटिंग सहित तकनीकी हेरफेर से गिरदावरी पूरी करवा ली।
Published on:
25 Oct 2025 11:29 pm
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