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सच हुए सपनेः बकरी चराने वाले मजदूर के बेटे का एमबीबीएस में चयन, अपने समाज से पहला डॉक्टर…

परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा से कभी समझौता नहीं किया। भोमेश की तैयारी में उनके मामा तेजाराम फौजी का मार्गदर्शन और सीकर में कोचिंग इस्टीट्यूट की मदद महत्वपूर्ण रही।

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लूणकरनसर तहसील के गांव नाथवाणा के भोमेश पुत्र मुखराम सांसी ने असम के जोरहाट मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस में चयन होकर अपनी मेहनत और लगन का लोहा मनवाया है। सांसी समाज से भोमेश बीकानेर जिले का पहला डॉक्टर है, जो परिवार, समाज और पूरे गांव के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है। भोमेश ने विपरीत परिस्थितियों में मेडिकल प्रवेश परीक्षा (नीट-2025) में सफलता हासिल की। परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा से कभी समझौता नहीं किया। भोमेश की तैयारी में उनके मामा तेजाराम फौजी का मार्गदर्शन और सीकर में कोचिंग इस्टीट्यूट की मदद महत्वपूर्ण रही।

आर्थिक चुनौतियां भी रोक नहीं सकीं रास्ता

भोमेश के पिता मुखराम सांसी गरीब मजदूर हैं, जो पिछले पांच साल में दो बार पेट और सिर की गंभीर सर्जरी करवा चुके हैं। परिवार का पालन-पोषण करने के लिए बकरियां चराना उनकी आजीविका का साधन है। भोमेश के माता-पिता दोनों निरक्षर हैं, लेकिन उन्होंने बेटे की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी।

सरकार से मदद की आस भी

भोमेश के चयन के बाद परिवार ने छात्रवृत्ति और आर्थिक सहायता की मांग की है, ताकि उनकी मेडिकल शिक्षा का खर्च पूरा हो सके। समाज और गांव की उम्मीद है कि सरकार इस प्रतिभाशाली छात्र की मदद करेगी और उसे आगे बढ़ने में सहयोग प्रदान करेगी। भोमेश की कहानी उन सभी छात्रों के लिए प्रेरक संदेश है, जो आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं। इस सफलता ने साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और सही मार्गदर्शन से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।