Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छठ मैया की पूजा, डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे व्रती, श्रद्धा, आस्था और स्वच्छता का महापर्व चरम पर

- नहाय-खाय से शुरू हुआ छठ महापर्व में आज डूबते और कल उगते सूर्य को अर्घ्य करेंगे अर्पित - शहर के प्रमुख जलाशयों और कृत्रिम घाटों पर तैयारियां पूरी

2 min read
Google source verification
Today, worship of Chhath Maiya, devotees will offer prayers to the setting sun, the grand festival of devotion, faith and cleanliness is at its peak.

Today, worship of Chhath Maiya, devotees will offer prayers to the setting sun, the grand festival of devotion, faith and cleanliness is at its peak.

लोक आस्था का छठ महापर्व श्रद्धा और भक्ति के रंग में रंग गया है। शनिवार को ‘नहाय-खाय’ के साथ इसकी शुरुआत हुई और रविवार को ‘खरना’ मनाया गया। सोमवार को कार्तिक शुक्ल षष्ठी पर व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी, जबकि मंगलवार को सप्तमी तिथि पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ व्रत का पारण किया जाएगा। शहर के विभिन्न जलाशयों और कृत्रिम घाटों पर पूजा-अर्चना की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।

खरना के साथ आरंभ हुआ निर्जला उपवास

रविवार को खरना पूजा के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ हुआ। व्रती महिलाओं ने स्नान कर छठी मैया की विशेष पूजा-अर्चना की और चावल की खीर का प्रसाद अर्पित किया। इसके बाद सूर्य देव और छठी मैया से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की गई।

आज डूबते सूर्य को अर्घ्य, कल उगते सूर्य को

सोमवार को डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा, जबकि मंगलवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाएगा। छठ पर्व पर व्रती महिलाएं 36 घंटे तक बिना जल ग्रहण किए व्रत रखती हैं, जो आस्था, अनुशासन और आत्मसंयम का प्रतीक है। छठ पूजा का मुख्य आयोजन जलदाय विभाग परिसर में बने टैंक पर किया जाएगा। इसके अलावा मानसरोवर झील, नेहरू तलाई और कुछ कॉलोनियों में बनाए गए कृत्रिम तालाबों पर भी श्रद्धालु सूर्य देव को अर्घ्य देंगे। पूर्वांचल विकास सेवा समिति और पूर्वांचल जन चेतना समिति की ओर से कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है। मानसरोवर झील पर सोमवार शाम 7 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा।

श्रद्धा और स्वच्छता का संगम

छठ पूजा के लिए सभी स्थलों पर स्वच्छता, सुरक्षा और प्रकाश व्यवस्था की विशेष व्यवस्थाएं की गई है। नगर निगम की टीमें घाटों की सफाई और सुरक्षा प्रबंधन में जुटी हैं। महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में पूजन सामग्री से सजे डाले (बांस की टोकरी) लेकर सूर्य देव की उपासना करेंगी।