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राजकीय विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा संकट में, प्रशिक्षकों के बिना ठप पड़ता स्किल इंडिया मिशन

भीलवाड़ा सहित प्रदेश के कई जिलों में नहीं हैं व्यावसायिक प्रशिक्षक 11 माह से वेतन बकाया, प्रशिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों का भविष्य अधर में

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Vocational education in government schools in crisis, Skill India Mission stalls without trainers

Vocational education in government schools in crisis, Skill India Mission stalls without trainers

प्रदेश के राजकीय विद्यालयों में संचालित व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम इन दिनों गंभीर संकट के दौर से गुजर रहा है। स्किल इंडिया मिशन और समग्र शिक्षा अभियान के तहत बीते 11 वर्षों से राज्य में युवाओं को कौशल आधारित शिक्षा देकर आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन हकीकत इससे काफी दूर है। प्रदेश के अनेक विद्यालयों में व्यावसायिक प्रशिक्षक तक उपलब्ध नहीं हैं। इससे विद्यार्थी बिना प्रशिक्षण के ही परीक्षाएं देने को मजबूर हैं।

2270 विद्यालयों में संचालित है कार्यक्रम

प्रदेश के करीब 2270 विद्यालयों में व्यावसायिक शिक्षा कार्यक्रम संचालित हैं, लेकिन इनमें बड़ी संख्या में प्रशिक्षक पद रिक्त हैं। केवल भीलवाड़ा जिले में 117 विद्यालयों में पिछले दो शैक्षणिक सत्रों से व्यावसायिक प्रशिक्षक नहीं लगाए गए हैं। सरकार हर वर्ष इस योजना के लिए बजट आवंटित करती है, फिर भी प्रशिक्षकों की अनुपलब्धता से विद्यार्थी कौशल आधारित शिक्षा के लाभ से वंचित रह रहे हैं।

11 माह तक वेतन बकाया

जहां प्रशिक्षक कार्यरत हैं, वहां भी हालात बेहतर नहीं हैं। कई प्रशिक्षकों का 3 माह से लेकर 11 माह तक का वेतन बकाया है। वेतन नहीं मिलने और नौकरी की अस्थिरता से प्रशिक्षकों में भविष्य को लेकर गहरी चिंता है। कई जिलों में प्रशिक्षक आर्थिक तंगी के कारण नौकरी छोड़ने पर विवश हो रहे हैं।

आत्मनिर्भरता का सपना अधूरा

शिक्षक पवन कुमार गर्ग ने कहा कि व्यावसायिक शिक्षा का उद्देश्य युवाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना है, लेकिन प्रशिक्षकों के अभाव में यह मिशन अपने मूल लक्ष्य से भटकता जा रहा है। यदि समय रहते सुधार नहीं किया गया तो इसका असर हजारों विद्यार्थियों के भविष्य पर पड़ सकता है।

अभिभावक और शिक्षा विशेषज्ञ चिंतित

शिक्षा से जुड़े विशेषज्ञों और अभिभावकों का कहना है कि यदि प्रशिक्षकों का भविष्य असुरक्षित रहेगा, तो विद्यार्थियों का भविष्य कैसे सुरक्षित रह सकेगा। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि व्यावसायिक शिक्षा के इस मिशन को बचाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाए जाएं।

मिशन का मकसद खतरे में

राज्य में व्यावसायिक शिक्षा को युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने का माध्यम माना गया था।

लेकिन प्रशिक्षकों की कमी और वेतन भुगतान में देरी से स्कूल स्तर पर प्रशिक्षण ठप पड़ गया है। अगर स्थिति में जल्द सुधार नहीं हुआ तो यह मिशन सिर्फ कागजों में सीमित होकर रह जाएगा।

सरकार के सामने रखी मुख्य मांगें

  • - सभी रिक्त विद्यालयों में तत्काल व्यावसायिक प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जाए।
  • - कार्यरत प्रशिक्षकों को लंबित वेतन का शीघ्र भुगतान किया जाए।
  • - व्यावसायिक शिक्षा विभाग की निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।

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