Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan News : अब जड़ से खत्म होगा विलायती बबूल, राजस्थान सरकार ने की तैयारी

विलायती बबूल को अब जड़ से खत्म करने की राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है। जिले में मानव, मवेशियों व पेड़ पौधों का दुश्मन बन चुके विलायती बबूल (प्रोसोपिस जुलिफोरा) को अब जड़ से नष्ट किया जाएगा।

2 min read
Google source verification
Julie Flora

जूली फ्लोरा (फोटो-पत्रिका)

भीलवाड़ा। विलायती बबूल को अब जड़ से खत्म करने की राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है। जिले में मानव, मवेशियों व पेड़ पौधों का दुश्मन बन चुके विलायती बबूल (प्रोसोपिस जुलिफोरा) को अब जड़ से नष्ट किया जाएगा।

राज्य सरकार व जिला प्रशासन ने इसके लिए व्यापक कार्य योजना की तैयारी शुरू कर दी है। वन एवं राजस्व विभाग के जिम्मेदार अफसर जल्द ही इस बारे में आदेश जारी करेंगे। ताकि इस पौधे की कटाई के लिए बार-बार अनुमति लेने की आवश्यकता समाप्त हो और किसी प्रकार की वैधानिक बाधा उत्पन्न नहीं हो। यह अभियान हर गांव में चलाया जाएगा। मनरेगा और स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर चरणबद्ध तरीके से इसका उन्मूलन किया जाएगा।

सभी विभागों और आम जनता के सहयोग से विलायती बबूल मुक्त प्रदेश का सपना साकार किया जाएगा। इसकी गहरी जड़ें और अत्यधिक जल सोखने की क्षमता भू-जल स्तर में गिरावट और मृदा की उर्वरता में कमी का कारण बन रही हैं। इससे देशी पौधों की प्रजातियां भी नष्ट हो रही हैं।

ऐसे समझें विलायती बबूल से होने वाले नुकसान

यह बहुत तेजी से फैलता है और आस-पास की जमीन से सभी पोषक तत्वों और पानी को सोख लेता है, जिससे स्थानीय पेड-पौधे खत्म होने लगते हैं।

इसकी जड़ें बहुत गहराई तक जाती हैं और अत्यधिक मात्रा में पानी खींचती हैं, जिससे जल स्तर तेजी से गिरता है।

यह मिट्टी में मौजूद नमी और पोषक तत्वों को कम कर देता है, जिससे जमीन बंजर हो सकती है। इसके आस-पास के दूसरे पौधे नहीं पनपते।

यह आक्रामक प्रजाति का पौधा है, जो स्थानीय वन्यजीवों और पौधों की विविधता को समाप्त कर देता है।

यह खाली या उपजाऊ भूमि पर तेजी से फैलकर खेती योग्य भूमि को नष्ट कर देता है।

इसके कांटे बहुत तीखे होते हैं, जो मनुष्यों और मवेशियों को घायल कर सकते हैं। इसके बीज खाने से मवेशियों की तबीयत बिगड़ सकती है। इसका कांटा आसानी से नहीं निकलता। कई मवेशियों को चलने में परेशानी होती है।

इसकी सूखी लकड़ी और पत्तियां आसानी से जलती हैं, जिससे जंगल में आग का खतरा रहता है।

यह घास और अन्य चारे के पौधों की जगह ले लेता है, जिससे पशुओं के लिए चारा कम हो जाता है।

यह कुछ कीटों और बीमारियों का वाहक बन सकता है, जो आस-पास के पौधों और मवेशियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

एक बार फैलने के बाद इसे हटाना बहुत कठिन और खर्चीला होता है, क्योंकि यह बार-बार उग आता है।