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चिचंडा के पास पटरी से उतरा मालगाड़ी का डिब्बा

तीन घंटे की मशक्क्त के बाद डिब्बे को पटरी पर लाया ट्रेक से उतरा रैक का डिब्बा

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Goods train derailed near Chichanda,Goods train derailed near Chichanda

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मुलताई। बालासोर में हुए भीषण रेलवे हादसे के बावजूद रेलवे विभाग की लापरवाही से लगातार रेल दुर्घटनाएं हो रही है। ताजा मामला बैतूल नागपूर सेंट्रल रेलवे के चिचंडा स्टेशन के पास का है जहां बुधवार अप ट्रेक पर इयूआर रैक का एक डिब्बा पटरी से उतर गया। घटना की जानकारी मिलते ही आमला से रेलवे का तकनीकि अमला मौके पर पहुंचा तथा तीन घंटे की भारी मशक्क्कत के बाद जेक के माध्यम से रैक के डिब्बे को पटरी पर लाया गया। हालांकि इस दौरान तीसरे ट्रेक से ट्रेनों की आवाजाही चलती रही तथा रेलवे यातायात प्रभावित नही हुआ। लेकिन घटना की खबर लगते ही मुलताई सहित आसपास के क्षेत्र में सनसनी रही। प्राप्त जानकारी के अनुसार मुलताई नागपूर ट्रेक पर वर्तमान में तीसरे ट्रेक का कार्य चल रहा है जिसके लिए इयूआर रैक से पटरियां लाकर बिछाई जा रही है। बुधवार पटरी लेकर पहुंची इयूआर रैक का एक डिब्बा अचानक पटरी से उतर गया। बताया जा रहा है कि आमला की टीम द्वारा जैक के जरिये डिब्बे को वापस पटरी पर लाया गया जिसके बाद इयूआर रैक रवाना हुई। गौरतलब है कि इसके पूर्व चिचंडा स्टेशन के ही पास विगत 20 मई की रात्री को मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए थे। लगभग 18 दिनों में चिचंडा के पास अप ट्रेक पर यह दूसरी घटना है। बुधवार हुई घटना में अप ट्रेक से गुजरने वाली ट्रेनों को तीसरी लाईन से निकाला गया जिससे कारण रेल यातायात बाधित नही हुआ है।
10.35 पर पटरी से उतरा इयूआर रैक का डिब्बा, 1.10 पर पटरी पर लाया
मुलताई नागपूर सेंट्रल रेलवे के चिचंडा रेलवे स्टेशन के अप ट्रेक पर पोल नंबर 914/23 के पास बुधवार सुबह 10.35 बजे इयूआर रैक का डिब्बा पटरी से उतर गया। उक्त रैक से तीसरी लाईन के लिए पटरी लाई जा रही थी इसी दौरान डिब्बा पटरी से उतर गया। डिब्बा पटरी से उतरने की जानकारी तत्काल रेलवे के उच्चाधिकारियों को दी गई जिस पर आमला रेलवे टीम ने मौके पर पहुंचकर सुधार कार्य किया जिससे 1.10 बजे डिब्बा पटरी पर लाया गया।
18 दिन पूर्व चिचंडा के पास ही मालगाड़ी के दो डिब्बे उतरे थे पटरी से
पूरे मामले में गौरतलब तथ्य यह है कि विगत 20 मई को रात चिचंडा के पास अपट्रेक पर से ही गुजर रही मालगाड़ी के दो डिब्बे पटरी से उतर गए थे जिससे ट्रेक भी क्षतिग्रस्त हुआ था। रेलवे द्वारा रातों रात मरम्मत करके ट्रेक चालू किया गया था। मात्र 18 दिनों में दूसरी घटना से रेलवे विभाग की लापरवाही सामने आई है वहीं रेलवे द्वारा इतनी देखरेख के बावजूद घटनाओं की पुनरावृत्ति होना कई सवाल खड़े कर रहा है।