इस बार दीप उत्सव से छह दिनों तक मनाया जाएगा। छह दिवसीय उत्सव की शुरूआत 18 अक्टूबर की तारीख को धनतेरस से होगी। अमावस्या की दो तिथि होने के कारण छह दिवसीय दीप उत्सव मनाया जाएगा। वहीं दीपावली पर गृह गोचर भी काफी शुभ फलदायी होगा।
पुष्य नक्षत्र के बाद दूसरा महामुहूर्त धनतेरस पर
छबड़ा. बारां. इस साल दीपावली उत्सव पांच दिनों का नहीं होगा। इस बार दीप उत्सव से छह दिनों तक मनाया जाएगा। छह दिवसीय उत्सव की शुरूआत 18 अक्टूबर की तारीख को धनतेरस से होगी। अमावस्या की दो तिथि होने के कारण छह दिवसीय दीप उत्सव मनाया जाएगा। वहीं दीपावली पर गृह गोचर भी काफी शुभ फलदायी होगा। एक दिन पूर्व ही अमावस्या तिथि प्रदोष काल में आ गई है। शास्त्र अनुसार महालक्ष्मी पूजन प्रदोष कालीन अमावस्या को ही पूजन होता है। यह तिथि 20 अक्टूबर दोपहर 3.44 को प्रारंभ होगी। अन्नकूट पर्व उदया तिथि को ही मनाया जाता है।
इसलिए हुआ यह
पंडित जनार्दन शुक्ला ने बताया कि 20 नवंबर को दोपहर 2.45 तक चतुर्दशी तिथि रहेगी इसके उपरांत अमावस्या तिथि लग जायेगी जो अगले दिन मंगलवार को शाम 4.14 तक रहेगी। दीपावली पर्व में सूर्यास्त के उपरांत अमावस्या तिथि का होना आवश्यक होता है। यह 20 नवंबर सोमवार को है, 21 नवंबर मंगलवार को अमावस्या शाम 4.14 तक है अत: दीपावली निर्विवाद रुप से 20 नवंबर को मनाईं जायेगी जो पूर्णतया पंचांग एवं शास्त्र सम्मत है।
एक दिन और बढ़ गई त्योहारी रौनक
इस बार दीपावली के एक दिन बाद गोवर्धन पूजन और दो दिन बाद भाई दूज मनाई जाएगी। 23 अक्टूबर तक उत्सव मनाया जाएगा। इसमें 20 अक्टूबर को प्रदोषकाल में दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी पूजन किया जाएगा। 21 अक्टूबर को अमावस्या स्नान, दान के लिए होगी। वही रूप चतुर्दशी 19 अक्टूबर को रहेगी। गोवर्धन पूजन 22 अक्टूबर को और भाई दूज 23 अक्टूबर को होगी।
धनतेरस
पंडितों ने बताया कि दीपोत्सव का पहला पर्व धनतेरस 18 अक्टूबर से होगा। त्रयोदशी तिथि 18 को दोपहर 12.48 बजे से शुरु होकर 19 अक्टूबर को दोपहर 1.45 बजे तक रहेगी। पुष्य नक्षत्र के बाद दीपावली से खरीदी का दूसरा महामुहूर्त धनतेरस पर रहेगा। इस दिन आरोग्य के लिए भगवान धन्वतंरि का पूजन किया जाएगा। प्रदोषकाल में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर का पूजन होगा।
सूर्य, मंगल, बुध का गोचर तुला राशि में होगा
दीपावली पर्व पर हस्त नक्षत्र रहेगा। शास्त्र अनुसार यह शुभ नक्षत्र मना गया है। यह सभी के लिए शुभ रहेगा। सूर्य, मंगल, बुध का गोचर तुला राशि में रहेगा। कर्क राशि में गुरु का उच्च गोचर होने से हंस महापुरुष योग बन रहा है। बृहस्पति ग्रह से बनने वाला एक अत्यंत शुभ राजयोग है। यह तब बनता है जब बृहस्पति कुंडली के केंद्र भावों पहला, चौथा, सातवां या दसवां भाव में अपनी उच्च राशि कर्क, मूल त्रिकोण राशि, या स्वराशि धनु या मीन में स्थित हो। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति ज्ञानी, बुद्धिमान, धनी, धार्मिक और समाज में समानित होता है। सूर्य और बुध की युति को बुद्धादित्य योग भी बन रहा है। जो एक बहुत ही शुभ योग है। बुद्धि, संचार, वाणी और तर्कशक्ति को बढ़ाता है। कन्या राशि में शुक्र चंद्र की युति से आपसी रिश्तों में प्रेम, मानसिक शांति और सुख की वृद्धि करेगा। सभी राशि के जातकों के लिए दीप पर्व सुख और वैभव से पूर्ण होगा।
Updated on:
15 Oct 2025 11:28 pm
Published on:
15 Oct 2025 11:26 pm
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