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युवाओं को विवेकानंद के आदर्शों को जीवन में अपनाना चाहिए : राज्यपाल गहलोत

गहलोत ने कहा कि भारत की सभ्यता सदियों से आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों पर आधारित रही है। संतों, ऋषियों और साधुओं ने हमेशा धर्म, करुणा और नैतिकता को जीवन का आधार बनाया।

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राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने ऐसे भारत का स्वप्न देखा था जो आध्यात्मिक रूप से जागृत, सांस्कृतिक रूप से सशक्त और आधुनिक प्रगति को अपनाने वाला हो। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे विवेकानंद के आदर्शों को अपने जीवन का मार्गदर्शन बनाएं और राष्ट्र के विकास में सक्रिय भूमिका निभाएं।

राज्यपाल धारवाड़ स्थित वीरशैव लिंगायत भवन में कर्नाटक रामकृष्ण-विवेकानंद भावप्रचार परिषद के 11वें वार्षिक सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा, यदि प्रत्येक युवा विवेकानंद की तरह आत्मविश्वास, त्याग और सेवाभाव को अपनाए, तो भारत एक बार फिर विश्वगुरु का स्थान प्राप्त कर सकता है।

गहलोत ने कहा कि भारत की सभ्यता सदियों से आध्यात्मिकता और मानवीय मूल्यों पर आधारित रही है। संतों, ऋषियों और साधुओं ने हमेशा धर्म, करुणा और नैतिकता को जीवन का आधार बनाया। उन्होंने महर्षि पतंजलि द्वारा योग को वैज्ञानिक रूप से संहिताबद्ध किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह परंपरा आज भी शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन को बढ़ावा देती है। राज्यपाल ने कहा, कबीर, गुरु नानक, तुलसीदास, मीराबाई, रविदास, बसवेश्वर, पुरंदरदास, कनकदास और अक्का महादेवी जैसे संतों ने प्रेम, समानता और एकता का संदेश दिया। आचार्यों और साधुओं ने वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना के माध्यम से वैश्विक कल्याण का मार्ग दिखाया।

गहलोत ने युवाओं से कहा कि वे अच्छे चरित्र, अनुशासन और ईमानदारी को जीवन का हिस्सा बनाते हुए ज्ञान, प्रौद्योगिकी और अवसरों को आत्मसात करें।