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भालू ‘वासी’ को मिला नया जीवन, लगा कृत्रिम पैर

कई दिनों की मेहनत के बाद, कैम्पाना ने एक टिकाऊ सांचा तैयार किया और वासी को एक ऐसा पैर लगाया, जो उसके प्राकृतिक व्यवहार यानी खुदाई, चढ़ाई और चारा ढूंढऩे आदि के लिए अनुकूल व मजबूत है।

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-कांटेदार फंदे के कारण काटना पड़ा था बायां पिछला टांग

-बन्नेरघट्टा भालू बचाव केंद्र, वन विभाग व वाइल्डलाइफ एसओएस को मिली सफलता

वह अब दर्द और तनाव से मुक्त है। चेहरे की रौनक लौट आई है। उसकी खुशियों का ठिकाना नहीं है। कभी वह उधर कूदता है तो कभी इधरउछलता है। कभी तेजी से दौड़ता है तो कभी अचानक ठहर कर पैरों को देखता है। मानो वह यह बताने की कोशिश कर रहा है कि वह अपने वास्तविक रूप में वापस आ गया है और पहले की तरह सब कुछ करने में सक्षम है।

देश का पहला मामला

ये भाव व अठखेलियां हैं शहर के बन्नेरघट्टा के भालू बचाव केंद्र Bear Rescue Center में रह रहे नर भालू वासी कीं। हाल ही में उसे कृत्रिम पैर Bear gets prosthetic leg लगा है। इसे लगाने वालों का दावा है कि वासी कृत्रिम पैर पाने वाला देश का पहला रेस्क्यूड स्लॉथ बीयर Rescued Sloth Bear है।

...तब से तीन पैरों पर चल रहा था

वासी कांटेदार फंदे में फंस गंभीर रूप से घायल हो गया था। उसे बचाकर बन्नेरघट्टा भालू बचाव केंद्र लाया गया। लेकिन, जान बचाने के लिए पुश चिकित्सकों को उसका बायां पिछला टांग काटना पड़ा था। तब से वह अपने तीन पैरों पर चल रहा था। हालांकि, इस वर्ष उसकी जिंदगी पूरी तरह से बदल गई। इसे संभव बनाया विश्व प्रसिद्ध पशु प्रोस्थेटिक्स विशेषज्ञ डेरिक कैम्पाना Derrick Campana ने। भालू को बचाने वाले वाइल्ड लाइफ एसओएस और वन विभाग ने पूरी प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई।

पंजों के जादूगर

पंजों के जादूगर के नाम से भी पहचाने वाले कैम्पाना ने वाइल्डलाइफ एसओएस WildLife SOS के साथ मिलकर वासी की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप एक कृत्रिम अंग डिजाइन किया। कई दिनों की मेहनत के बाद, कैम्पाना ने एक टिकाऊ सांचा तैयार किया और वासी को एक ऐसा पैर लगाया, जो उसके प्राकृतिक व्यवहार यानी खुदाई, चढ़ाई और चारा ढूंढऩे आदि के लिए अनुकूल व मजबूत है।

मील का पत्थर

वाइल्डलाइफ एसओएस के वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण ए. शाह ने कहा, हम हमेशा से वासी के जोड़ों और रीढ़ की हड्डी पर तीन पैरों पर चलने से पडऩे वाले दीर्घकालिक दबाव को लेकर चिंतित थे। यह कृत्रिम अंग पशु चिकित्सा जगत में एक मील का पत्थर है।

कुछ नया सिखाते हैं

मैं जिन भी जानवरों के साथ काम करता हूं, वे मुझे कुछ नया सिखाते हैं, लेकिन वासी का मामला असाधारण था। एक भालू के लिए कृत्रिम अंग डिजाइन करना किसी भी अन्य चुनौती से अलग था, लेकिन उसे वो शुरुआती कदम उठाते देखकर मेरी सारी मेहनत सार्थक हो गई। उसकी यात्रा का हिस्सा बनना मेरे लिए सम्मान की बात है।

-डेरिक कैम्पाना, पशु प्रोस्थेटिक्स विशेषज्ञ