खेतों के बीच हाथों में रिमोट कंट्रोल और नजरें आसमान में उड़ते ड्रोन पर टिकी। कुछ ही मिनट में ड्रोन से खेतों में दवाई छिड़काव करने वाली जिले की ड्रोन दीदी ने अलग पहचान बना ली है। जिले में लोग उन्हें ड्रोन दीदी के नाम से बुलाते है। ड्रोन से खेतों में फसलों पर दवाई का छिड़काव कर ये महिलाएं आर्थिक रूप से भी आत्मनिर्भर बन रही है। सालाना 4-5 लाख रुपए कमा रही है। शासन ने कृषि विभाग के माध्यम से ड्रोन दीदियों को ड्रोन दिया है।
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तस्वीर में नजर आती यह महिला, कृषि प्रधान बालोद जिले की पहली ड्रोन दीदी रेखा साहू (बघमरा) हैं, जो खुद आत्मनिर्भर हुईं। साथ ही अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बन कुछ कर गुजरने के उनके सपनों को उड़ान दे रही हैं। वे अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई है। उन्होंने पत्रिका को बताया कि वे मार्च 2024 में शासन से ड्रोन मिलने के बाद से ड्रोन दीदी के रूप में कार्य कर रही हैं। अब तक 3 हजार एकड़ में फसलों पर दवाई का छिड़काव कर चुकी है।
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उन्होंने बताया कि बालोद जिले के आलावा धमतरी, राजनादगांव, मानपुर मोहला जिले में भी किसानों की मांग फसलों में दवाई का छिड़काव किया है। ड्रोन से दवाई का छिड़काव बेहतर व समय की बचत है। किसानों को बस दवाई लाकर देना है। ड्रोन से मात्र 5-7 मिनट में दवाई का छिड़काव एक एकड़ में हो जाता है। प्रति एकड़ मात्र 300 रुपए की दर से दवाई का छिड़काव करते हैं।
उनका कहना है कि गांव में आय के साधन बहुत सीमित होते हैं, खासकर महिलाओं के लिए। महिलाएं चाहें तो वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं। बिहान इसके लिए बड़ा माध्यम है। इसके जरिए किसानों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। आज इससे जुड़कर ही मैं ड्रोन दीदी बनी हूं। वे कहती हैं कि महिलाएं खुद को कमजोर न समझें।
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Updated on:
10 Oct 2025 11:37 pm
Published on:
10 Oct 2025 11:31 pm
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