Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

तीन हाथियों को देख खेत व जंगल में नजर नहीं आया बाघ

तीसरे दिन भी बाघ का नहीं चला कही पता, चार परिक्षेत्र की खोज रही बाघ

2 min read
तीसरे दिन भी बाघ का नहीं चला कही पता, चार परिक्षेत्र की खोज रही बाघ

तीसरे दिन भी बाघ का नहीं चला कही पता, चार परिक्षेत्र की खोज रही बाघ

दक्षिण सामान्य वन मंडल बालाघाट के वन परिक्षेत्र कटंगी अंतर्गत कन्हडग़ांव सर्किल के ग्राम अंबेझरी में एक बाघ को पकडऩे के लिए चार परिक्षेत्र का वन अमला लगा हुआ हैं। जंगल में तीन हाथियों को देख बाघ अब खेत में भी नजर नहीं आ रहा है। यहां लगे ट्रैप कैमरों में जरूर बाघ कैद हुआ है। तीसरे दिन शनिवार को पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी से वन्य प्राणी रेस्क्यू स्क्वाड और कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के चिकित्सकों की टीम के साथ तीन हाथियों के दल ने सुबह से जंगल व खेत में बाघ को खोजा। लेकिन बाघ नहीं मिला। इस बीच कई जगह बाघ के पगमार्क देखे गए हंै। बाघ को खोजने तीन-चार ड्रोन की भी सहायता ली जा रही है। अंबेझरी के ग्रामीणों ने बताया कि आक्रामक बाघ ने शुक्रवार को पथरापेठ-कन्हडग़ांव के बीच नाले के समीप में ग्राम पिपरवानी निवासी खेमा नाने मवेशी चरा था, तभी उस पर बाघ ने हमला कर दिया। वह गंभीर रूप से घायल हो गया। घायल का नागपुर में इलाज चल रहा है।

साढ़े आठ माह के भीतर इस परिक्षेत्र में बाघ के हमले से पांच लोगों की मौत हो गई है और तीन लोग घायल हो चुके हंै। साथ ही कई मवेशियों का बाघ ने शिकार किया है। इससे अनेक लोगों ने मवेशी पालना बंद कर दिया है। किसानों के खेतों में धान काटने लायक हो गया है। यदि समय पर धान की कटाई नहीं हो पाई तो धान की बालिया जमीन पर गिरने लगेगी।

प्रभावित हो रहे किसान कार्य

किसानों ने बताया कि बाघ की वजह से उनके खेती किसानी संबंधी कई सारे कार्य प्रभावित हो रहे हैं। उनकी मांग है कि वन विभाग जल्द ही बाघ को पकडकऱ अन्यत्र जगह लेकर जाए। खेतों में बाघ के लगातार विचरण करने की जानकारी किसानों के तरफ से वन विभाग को दी गई। वन विभाग ने कान्हा से तीन हाथी बुलवाए। तीन दिनों से दल के साथ कान्हा के एक चिकित्सक बाघ को ट्रेंकुलाइज करने साथ में है। बाघ दिन भर कही दिखाई नहीं दिया। वन विभाग ने बाघ शाम को गांव की ओर न आए, इसके लिए पटाखे फोड़े जा रहे है।

80 किमी के दायरे में अधिक बाघ

वन विभाग के अधिकारी ने बताया कि कन्हडग़ांव व गोरेघाट अके 80 किमी के दायरे में बाघों की अधिक संख्या है। इस क्षेत्र में करीब 15 गांव आते हैं। क्योंकि यह वन क्षेत्र महाराष्ट्र के अलावा पेंच से लगा है। यही वजह है कि बाघ समेत अन्य वन्य प्राणी खेतों व गांव तक आ रहे हंै। साढ़े पांच माह पूर्व ही कुड़वा में एक हिंसक हुए बाघ को वन विभाग ने पकडकऱ भोपाल भेजा गया।