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ओबीसी या ब्राह्मण समाज से चुना जा सकता है नया कांग्रेस जिलाध्यक्ष, 22 को सौंपा जाएगा पैनल

अलवर कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद को लेकर चल रही कवायद अब अंतिम चरण में पहुंच गई है।

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अलवर कांग्रेस जिला अध्यक्ष पद को लेकर चल रही कवायद अब अंतिम चरण में पहुंच गई है। ऑब्जर्वर को 36 आवेदन भी मिले हैं, जिनमें से 6 नामों का पैनल 22 अक्टूबर को केसी वेणुगोपाल को सौंपा जाएगा। यह बात तय मानी जा रही है कि जिला अध्यक्ष के चयन में जातिगत समीकरण को साधा जाएगा। हालांकि ऑब्जर्वर भले ही यह दावा करें कि एआइसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कोई नाम नहीं दिया। मगर यह भी तय है कि दोनों की मंजूरी के बिना जिलाध्यक्ष नहीं बनेगा।

यूं समझें जातिगत गणित

दरअसल, एससी वर्ग के टीकाराम जूली अभी नेता प्रतिपक्ष के पद पर हैं, ऐसे में एससी वर्ग का अध्यक्ष बनना मुश्किल है। इसी तरह एसटी से मांगेलाल और कांति मीणा विधायक हैं। वहीं, ओबीसी से भी ललित यादव और दीपचंद खैरिया विधायक हैं।

वैश्य या ब्राह्मण समाज से कोई नेता अभी जिले में किसी बड़े पद पर नहीं है। वैश्य समाज से कोई आवेदन नहीं मिला है, ऐसे में ब्राह्मण और ओबीसी वर्ग की मजबूत दावेदारी मानी जा रही है।

दीनबंधु, विश्राम और श्वेता सैनी भी दौड़ में

दीनबंधु शर्मा भी मजबूत हैं। वे यूथ कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव और यूथ कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रह चुके हैं। शहर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुकी श्वेता सैनी और डेयरी के पूर्व चेयरमैन विश्राम मीणा भी इस दौड़ में शामिल हैं।

प्रकाश गंगावत और योगेश मिश्रा में टक्कर

पूर्व विधायक कृष्ण मुरारी गंगावत के पुत्र प्रकाश गंगावत को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है। उनके पिता की छवि और पार्टी में पकड़ के चलते उनका नाम मजबूत माना जा रहा है। वहीं, वर्तमान अध्यक्ष योगेश मिश्रा भी इस दौड़ में आगे हैं। हालांकि लंबे समय से वे इस पद पर हैं। साथ ही, कई नेता व कार्यकर्ता उनसे नाराज हैं। विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी उन पर पार्टी प्रत्याशियों का साथ नहीं देने के आरोप लग चुके हैं।