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H-1B वीजाधारकों को बड़ी राहत, 1 लाख डॉलर फीस से छूट, ट्रंप सरकार के फैसले से लाखों भारतीयों को फायदा

अमेरिका में H-1B वीजा पर ट्रंप सरकार की $100,000 फीस सिर्फ नए आवेदकों पर लागू होगी, जिससे मौजूदा वीजा धारकों और टेक कंपनियों को बड़ी राहत मिली है। यह छूट फिलहाल सितंबर 2026 तक वैध रहेगी।

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भारत

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Devika Chatraj

Oct 21, 2025

Donald Trump

H-1B वीजाधारकों को बड़ी राहत (File Photo)

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की सरकार ने H-1B वीजा (H-1B Visa) पर नई सख्ती का ऐलान किया था, लेकिन अब मौजूदा वीजा धारकों के लिए एक बड़ी राहत वाली खबर आई है। व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया है कि नई $100,000 (लगभग 84 लाख रुपये) की फीस केवल नए आवेदकों पर लागू होगी, न कि उन लोगों पर जो पहले से H-1B वीजा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं। इस फैसले से लाखों भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को राहत मिली है, जो अमेरिकी टेक कंपनियों में नौकरी करते हैं।

क्या है नया नियम?

19 सितंबर 2025 को ट्रंप ने एक एक्जीक्यूटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर किए, जिसमें H-1B वीजा के लिए $100,000 सालाना फीस लगाने का प्रावधान किया गया। यह फीस अमेरिकी कंपनियों को चुकानी होगी, जो विदेशी कुशल श्रमिकों को लाने के लिए वीजा स्पॉन्सर करती हैं। इसका मकसद अमेरिकी नागरिकों के लिए ज्यादा नौकरियां पैदा करना बताया गया है। लेकिन यह नियम 21 सितंबर 2025 से प्रभावी हो गया।

किसे मिलेगा फायदा?

मौजूदा H-1B वीजा धारक: अमेरिका में पहले से काम कर रहे करीब 5 लाख विदेशी श्रमिकों को राहत। इनमें से अधिकांश भारतीय हैं, खासकर आईटी सेक्टर से। अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, मेटा जैसी कंपनियां H-1B पर सबसे ज्यादा निर्भर हैं। उदाहरण के लिए, अमेजन ने FY 2025 में 14,000 से ज्यादा H-1B वीजा स्पॉन्सर किए थे।

रिन्यूअल आवेदक: वीजा एक्सटेंशन पर कोई नई फीस नहीं लगेगी।

2025 लॉटरी वाले: जो लोग इस साल चुने गए, उन्हें भी छूट मिलेगी।

परिवार के सदस्य: H-4 वीजा धारक पति-पत्नी और बच्चे भी प्रभावित नहीं होंगे

यह छूट 12 महीने के लिए वैलिड है, यानी सितंबर 2026 तक। उसके बाद एक्सटेंशन की संभावना है।

क्यों हुई दिक्क्तें?

ऐलान के तुरंत बाद टेक कंपनियों और इमिग्रेशन वकीलों ने चेतावनी दी कि मौजूदा वीजा धारक विदेश यात्रा न करें। कई भारतीयों ने छुट्टियों के प्लान कैंसल कर दिए। लेकिन व्हाइट हाउस की सफाई के बाद स्थिति सामान्य हो रही है। इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अभी भी USCIS (यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज) से ज्यादा गाइडलाइंस की जरूरत है।

टेक इंडस्ट्री पर असर

ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह कदम अमेरिकी वर्कर्स को प्रोटेक्ट करेगा, क्योंकि कंपनियां विदेशियों को हायर करके लोकल जॉब्स छीन रही हैं। लेकिन टेक लीडर्स का विरोध है। गूगल के यूनियन प्रेसिडेंट ने कहा कि यह अनिश्चितता सेक्टर को नुकसान पहुंचाएगी। शेयर मार्केट में भी हलचल मची इंफोसिस और विप्रो जैसे भारतीय फर्म्स के स्टॉक 2-5% गिरे।