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पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन TLP पर प्रतिबंध: भयानक हिंसा के बाद शरीफ सरकार का बड़ा फैसला

TLP Ban Pakistan: पाकिस्तान सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर प्रतिबंध लगा दिया है।

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भारत

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MI Zahir

Oct 24, 2025

TLP Ban Pakistan

पाकिस्तान में कट्टरपंथी संगठन TLP पर प्रतिबंध लगा। (फोटो: X Handle Mona Farooq Ahmad)

TLP Ban Pakistan: पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP Ban Pakistan ) के खिलाफ सख्त कदम उठाया है। आंतरिक मंत्रालय ने आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर TLP को आतंकवादी संगठन (Tehreek-e-Labbaik Outlawed) घोषित कर दिया। यह फैसला बुधवार को कैबिनेट की बैठक में लिया गया, जहां पंजाब सरकार की सिफारिश पर सहमति इस पर बनी। ध्यान रहे कि TLP ने हाल ही में लाहौर और इस्लामाबाद में गाजा शांति समझौते के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन (Pakistan TLP Protests)किए थे, जिसमें 16 लोगों की जान चली गई। इन प्रदर्शनों ने देश में अस्थिरता पैदा कर दी थी, जिसके बाद सरकार ने एंटी-टेररिज्म एक्ट के तहत कार्रवाई की।

गाजा में शांति समझौते के विरोध में सड़कों पर उतरे थे लोग

तब TLP की हिंसा ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया। लाहौर के आसपास हजारों समर्थकों ने पुलिस पर पथराव किया, जिससे पुलिसकर्मी और नागरिक मारे गए। प्रदर्शनकारी गाजा में ट्रंप के प्रस्तावित शांति समझौते के विरोध में सड़कों पर उतरे थे। पाकिस्तान सरकार ने शुरू में इस समझौते का समर्थन किया था, लेकिन संसद में U-टर्न ले लिया। इससे TLP को मौका मिला, और वे हिंसा पर उतर आए। कैबिनेट ने कहा कि TLP 2017 से ही हिंसक रैलियां आयोजित करता रहा है, जो देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। अब TLP को NACTA की प्रतिबंधित संगठनों की सूची में डाल दिया जाएगा, जहां TTP, BLA और लश्कर-ए-तैयबा जैसे ग्रुप पहले से हैं।

इस फैसले की समीक्षा करनी होगी

शुरुआती रिपोर्ट्स बताती हैं कि TLP को पाकिस्तान आर्मी और ISI का चुपचाप समर्थन मिला हुआ था। लेकिन गाजा विरोधी प्रदर्शनों की हिंसा ने समीकरण बदल दिया। सरकार ने संसद में ट्रंप के शांति प्लान पर समर्थन जताया, लेकिन TLP के विरोध के बाद पीछे हट गई। इससे TLP ने सरकार पर हमला बोला, और हिंसा भड़क उठी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बैन TLP की राजनीतिक ताकत को कमजोर करेगा, लेकिन इसकी विचारधारा को दबाना चुनौतीपूर्ण होगा। सुप्रीम कोर्ट को 15 दिनों में इस फैसले की समीक्षा करनी होगी।

सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रिया

TLP बैन की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। X पर कई यूजर्स ने सरकार की तारीफ की, कहा कि यह कट्टरपंथ पर लगाम लगाने का सही कदम है। कुछ ने चेतावनी दी कि TLP के समर्थक फिर से सड़कों पर उतर सकते हैं। पाकिस्तानी युवाओं ने लिखा, "हिंसा का अंत होना चाहिए, शांति ही रास्ता है।" वहीं, TLP समर्थकों ने इसे साजिश बताया। यह बहस पाकिस्तान की राजनीति में धार्मिक कट्टरपंथ की भूमिका पर केंद्रित हो गई है।

आगे की कार्रवाई और चुनौतियां

अब सवाल यह है कि बैन के बाद TLP के नेता साद रिजवी और उनके समर्थक क्या करेंगे? सरकार ने कहा कि NACTA सूची में शामिल होने से TLP की गतिविधियां पूरी तरह बंद हो जाएंगी। लेकिन इतिहास बताता है कि 2021 में भी TLP पर बैन लगाया गया था, जो बाद में हटा लिया गया था। क्या सुप्रीम कोर्ट इस बार फैसले को बरकरार रखेगा? विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह कदम पाकिस्तान की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है, लेकिन अमल में लाना मुश्किल होगा।

पाकिस्तान की राजनीति में कट्टरपंथ का खेल

बहरहाल यह बैन पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति दर्शाता है। TLP जैसी पार्टियां चुनावों में वोट बैंक बनाती हैं, लेकिन हिंसा से देश की छवि खराब होती है। गाजा मुद्दे पर सरकार का U-टर्न विदेश नीति की कमजोरी दिखाता है। भारत जैसे पड़ोसी देशों के लिए यह स्थिति सतर्कता का संकेत है, क्योंकि TLP की विचारधारा सीमा पार प्रभाव डाल सकती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि शिक्षा और जागरूकता से ही कट्टरपंथ को रोका जा सकता है।