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‘हमारी तरफ टॉमहॉक मिसाइलें आई तो मिलेगा करारा जवाब’, पुतिन बोले- टकराव में बातचीत बेहतर विकल्प

व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका द्वारा रूसी तेल कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने के ऐलान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि यह गलत कदम है। इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ेंगी। इसके साथ ही, उन्होंने जंग में अमेरिका की भूमिका पर भी बड़ा बयान दिया है।

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Putin) ने कहा कि अगर हम पर अमेरिकी टॉमहॉक मिसाइलों (US Tomahawk missiles) से हमला किया गया तो इसका करारा जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि टकराव या किसी भी विवाद में बातचीत हमेशा बेहतर विकल्प है। उन्होंने अमेरिका (America) संग बातचीत जारी रखने का समर्थन किया है।

22 अक्टूबर को ट्रंप और पुतिन के बीच प्रस्तावित बैठक रद्द होने के बाद अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लूकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया। इसका उद्देश्य रूस को जंग में मिल रही फंडिंग पर रोक लगाना है। पुतिन ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना करते कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध और अधिक बिगड़ सकते हैं। माना जाता है कि ट्रंप अपने कार्यकाल में रूस से अच्छे संबंध बनाना चाहते थे, लेकिन रूस के जंग न खत्म करने पर वह पुतिन से नाराज हो गए।

तेल की बढ़ेगी कीमतें

राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि रूसी तेल पर प्रतिबंध से सप्लाई कम होगी। इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि मैंने इस बारे में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप को भी आगाह किया था। उनके इस फैसले से अमेरिका और दुनिया भर में तेल की कीमतें बढ़ेंगी।

इधर, रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर यूएस ट्रेजरी विभाग ने कहा कि पुतिन जंग खत्म करने को लेकर गंभीर नहीं हैं। इसलिए रूस पर यह प्रतिबंध लगाए गए हैं। इस फैसले के तहत अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में आने वाली इन कंपनियों की सभी संपत्ति और हितों को प्रभावी रूप से ब्लॉक कर दिया गया है।

2 रूसी कंपनियों और 36 सहायक कंपनियों पर प्रतिबंध

रोसनेफ्ट रूस की सरकारी कंपनी है। यह तेल की खोज, रिफाइनिंग और बिक्री में एक्सपर्ट है। लूकोइल एक निजी स्वामित्व वाली इंटरनेशनल कंपनी है। यह रूस और विदेशों में तेल और गैस की खोज व रिफाइनिंग का काम करती है। इन दोनों कंपनियों की 50% या उससे ज्यादा की डायरेक्ट या इनडायरेक्ट हिस्सेदारी वाली 36 सहायक कंपनियों पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। वहीं, ट्रेजरी विभाग ने 21 नवंबर तक विदेशी कंपनियों को रोसनेफ्ट और लूकोइल के साथ लेन-देन खत्म करने के निर्देश दिए हैं। अगर पालन नहीं किया गया, तो जुर्माना, ब्लैकलिस्टिंग या व्यापार प्रतिबंध लग सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इन दोनों कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का असर वैश्विक बाजार पर देखने को मिल सकता है। वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है। यूरोपीय संघ ने भी रूसी LNG गैस पर बैन लगाने का फैसला किया है।

रूस से तेल खरीद घटाएगा भारत

ट्रंप के प्रतिबंधों के बाद 23 अक्टूबर को दावा किया गया कि भारत भी रूसी तेल के निर्यात में कमी ला सकता है। रॉयटर्स ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि रिफाइनिंग कंपनी रिलायंस सरकार की गाइडलाइंस के हिसाब से अपनी रूसी तेल की खरीदारी एडजस्ट कर रही है। सरकारी कंपनियां भी शिपमेंट चेक कर रही है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार भारत पर रूस से तेल खरीद बंद करने का दबाव डाल रहे हैं। ट्रंप बीते कुछ दिनों से लगातार दावा कर रहे हैं कि उन्होंने पीएम मोदी से बात की है। पीएम मोदी ने उनसे कहा है कि वे रूस से कच्चे तेल की खरीद बंद कर देंगे।