Lab grown embryos produce blood cells (Photo - Cambridge University)
वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में भ्रूण जैसी एक ऐसी संरचना तैयार की है जो खुद रक्त कोशिकाएं बनाने लगा है। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के गर्डन इंस्टीट्यूट में वैज्ञानिकों की टीम का नेतृत्व करने वाले डॉ. जीतेश न्यूपाने ने कहा कि जब डिश में खून का लाल रंग दिखा, तो वो बहुत ही रोमांचक पल था। इसे बनाने में वैज्ञानिकों ने इंसान के स्टेम सेल्स का इस्तेमाल किया। ये ऐसी कोशिकाएं होती हैं जो शरीर की किसी भी कोशिका में बदल सकती हैं। इनसे बिना अंडाणु या शुक्राणु के उन्होंने एक ऐसा ढांचा तैयार किया जो तीसरे और चौथे सप्ताह के भ्रूण जैसा दिखता है।
न्यूपाने ने बताया कि यह असली भ्रूण नहीं था। इसमें मस्तिष्क या प्लेसेंटा बनने वाले हिस्से शामिल नहीं थे, इसलिए यह बच्चे में विकसित नहीं हो सकता था।
वैज्ञानिकों ने देखा कि दूसरे दिन तक भ्रूण जैसी संरचना खुद से तीन परतों में बंट गई जिन्हें एक्टोडर्म, मेसोडर्म और एंडोडर्म कहा जाता है। ये परतें शरीर के सभी अंगों की नींव होती हैं। 8वें दिन तक इनमें धड़कती दिल की कोशिकाएं बन गईं और 13वें दिन लाल रक्त कोशिकाएं दिखाई देने लगीं। अंत में इनसे बनी रक्त कोशिकाओं ने यह भी साबित किया कि वो लाल और सफेद रक्त कोशिकाओं में बदल सकती हैं।
डॉ. न्यूपाने ने बताया कि इस खोज से यह समझने में मदद मिलेगी कि इंसान के दिल और खून की कोशिकाएं शुरुआत में कैसे बनती हैं। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से दवाओं की जांच, खून और प्रतिरक्षा प्रणाली के विकास को समझने और भविष्य में ल्यूकेमिया जैसी बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी।
Published on:
16 Oct 2025 11:35 am
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