Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

महिला विषयों की महाकाव्यकार डोरिस

डोरिस लेसिंग

less than 1 minute read
Google source verification

डोरिस लेसिंग

उपन्यास, लघुकथा, जीवनी, नाटक और कविता (literature) सहित कई विधाओं में लिखने वाली डोरिस लेसिंग को साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2007 में मिला। लंबी साहित्य साधना के बाद उस समय वे 88 वर्ष की थीं। डोरिस ने नारीवाद, आधुनिकवाद, उत्तर आधुनिकवाद, समाजवाद और साइंस फिक्शन सहित कई विषयों पर कलम चलाई । डोरिस का जन्म एक टेलर के घर में हुआ था। वे ब्रिटिश माता-पिता की संतान थीं।

डोरिस सबसे उम्रदराज लेखक

डोरिस को नोबेल पुरस्कार (Noble award winner) के लिए चुनने वाली स्वीडिश अकादमी ने उन्हें महिला संबंधी मामलों का महाकाव्यकार बताया। साहित्य में नोबेल पाने वाली डोरिस सबसे उम्रदराज लेखक थीं। 2001 में उन्हें ब्रिटिश साहित्य में लाइफ अचीवमेंट के रूप में डेविड कोहेन प्राइज से सम्मानित किया गया। 2008 में टाइम्स पत्रिका ने उन्हें 1945 के बाद के 50 महानतम ब्रिटिश लेखको की सूची में पांचवा स्थान दिया।

नर्स के रूप में काम

डोरिस का बचपन आर्थिक अभाव और कठिन परिस्थितियों में बीता। 15 साल की उम्र में उन्होंने घर छोड़ दिया और एक नर्स के रूप में काम करने लगीं। डोरिस ने अपने जीवनकाल में 50 से ज्यादा उपन्यास (fiction), दर्जनों लघुकथा संग्रह (Short Stories) और कई अन्य विधाओं में किताबें लिखीं। उन्होंने परमाणु हथियारों के खिलाफ अभियान चलाने के साथ-साथ रंगभेद जैसी सामाजिक कुरीतियों का भी मुखर विरोध किया। उनकी सामाजिक व लेखकीय सक्रियता से नाराज सरकार ने 1956 में उन्हें दक्षिण अफ्रीका और रोडेशिया से प्रतिबंधित कर दिया।

रहस्य और आध्यात्मिकता में भी गहरी रुचि

वे रहस्य और आध्यात्मिकता में भी गहरी रुचि रखती थीं। एक वक्त उन्होंने खुद को सूफी परंपरा के लिए समर्पित कर दिया था ।डोरिस का पहला उपन्यास 1950 में प्रकाशित हुआ - दी ग्रास इस सिंगिंग ।1962 में प्रकाशित द गोल्डन नोटबुक से उन्होंने अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की।