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शाही महासवारी… राजषी ठाठ बाट से भक्तों के बीच पहुंचे भगवान ओंकारेश्वर और ममलेश्वर

-हुई गुलाल एवं गुलाब की वर्षा, भोले की भक्ति में डूबी तीर्थ नगरी -ऊंट, घोड़े के साथ नंदी, शिवगण निकले, पुलिस बैंड ने दी प्रस्तुति

खंडवा

Manish Arora

Aug 05, 2025

श्रावण मास के चौथे सोमवार ज्योतिर्लिंग भगवान ओंकारनाथ अपनी प्रजा का हाल जानने राजषी ठाठ बाठ के साथ चांदी की पालकी में सवार होकर निकले। ओंकारेश्वर मंदिर ट्रस्ट के तत्वावधान में भव्य गुलाब और गुलाल महोत्सव का आयोजन किया गया। सोमवार दोपहर को पूजन के बाद मंदिर से भगवान की पालकी निकली। यहां पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद भगवान की पालकी कोटितीर्थ घाट पहुंची, जहां विप्रजनों द्वारा भगवान का अभिषेक किया गया। वहीं, दक्षिण तट से भगवान ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग की पालकी भी यहां पहुंची।

अभिषेक पूजन के बाद भगवान को नौका विहार कराकर नगर भ्रमण के लिए ले जाया गया। इस दौरान तोपों से गुलाल उड़ाकर भगवान को सलामी दी गई। महासवारी के दौरान पुलिस बैंड ने भी अपनी प्रस्तुति दी। महासवारी में ऊंट, 21 घोड़े, 151 ढोल, बैंड बाजे, डीजे की धुन पर गुलाल उड़ाते भक्त शामिल हुए। इस दौरान विशाल नंदी की प्रतिमा शामिल रही। भूत-पिचाश, शिवगणों की टोली सहित विभिन्न झांकियों में कलाकार प्रस्तुति देते चल रहे थे। शाही महासवारी में गुलाब की पंखुडिय़ों के साथ गुलाल भी उड़ाया जा रहा था। दोपहर 3 बजे से आरंभ हुई शाही महासवारी 9 घंटे नगर भ्रमण कर रात 11 बजे मंदिर वापस पहुंची। अंतिम सावन सोमवार को तीर्थ नगरी मं एक लाख श्रद्धालुओं ने नर्मदा स्नान कर दर्शन किए।

विशेष आकर्षण :-
-12 हाथ ठेलों पर सजी द्वादश ज्योतिर्लिंगों की दिव्य झांकी, हर एक झांकी में अद्वितीय सौंदर्य और सजीव प्रस्तुति।
-विशाल नंदी झांकी और चांदी के नंदीगण, श्रद्धा का केंद्र बने।
-कमल के फूलों के बीच मगर पर सवार मां नर्मदा की मनमोहक झाँकी ने जनमानस को मंत्रमुग्ध किया।
-अघोरी वेशभूषा में कलाकारों का दमदार तांडव नृत्य, शिव के रौद्र रूप की जीवंत प्रस्तुति।
-कालबेलिया नृत्य, आदिवासी नृत्य, हरियाणा, राजस्थान और हैदराबाद के लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक विविधता में एकता का परिचय दिया।
-चलित गूगल धुना और बाबा भोलेनाथ की शिव बारात ने भक्ति का वातावरण और भी अलौकिक बना दिया।