22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। इस हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। अब, कई महीनों की कड़ी मेहनत और सटीक रणनीति के बाद, सुरक्षा बलों ने उन तीन आतंकियों को मार गिराया है जो इस हमले के जिम्मेदार थे। गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में बताया कि इन आतंकियों की पहचान सुलेमान उर्फ फैसल, अफगान, और जिब्रान के रूप में हुई है। तीनों को ग्रेड-ए आतंकवादी घोषित किया गया था। सुलेमान को अक्टूबर 2024 में सोनमर्ग के पास गगनगीर आतंकी हमले में भी शामिल पाया गया था।
गृह मंत्री के मुताबिक इस हमले के तुरंत बाद सुरक्षा एजेंसियों की उच्च स्तरीय बैठक हुई, और 23 अप्रैल की रात को तय किया गया कि इन आतंकियों को पाकिस्तान भागने नहीं दिया जाएगा। इस निर्णय के बाद ऑपरेशन महादेव की नींव रखी गई।22 मई को खुफिया एजेंसी IB को डाचिगाम क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों की जानकारी मिली। इसके बाद सेना और एजेंसियों ने वहां विशेष उपकरणों की मदद से सिग्नल ट्रैक करने शुरू किए। मई से जुलाई तक लगातार ऊंची पहाड़ियों पर सर्द मौसम में जवानों ने निगरानी की।जैसे ही लश्कर-ए-तैयबा और द रेसिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली, केस NIA को सौंप दिया गया। NIA ने 1,055 लोगों से 3,000 घंटे से ज्यादा पूछताछ की। पीड़ितों के परिजन, टूरिस्ट गाइड्स, दुकानदारों और फोटोग्राफरों से वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ बयान लिए गए। जांच के दौरान बशीर और परवेज़ नाम के दो स्थानीय लोगों की पहचान हुई जिन्होंने 21 अप्रैल की रात आतंकियों को खाना और पनाह दी थी। दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।
22 जुलाई को सुरक्षा बलों को आतंकियों की मौजूदगी की पक्की सूचना मिली। इलाके को घेर लिया गया। भारतीय सेना की 4 पैरा स्पेशल फोर्स, CRPF और J&K पुलिस ने मिलकर ऑपरेशन चलाया। जंगल में भीषण गोलीबार की बीच फंसकर तीनों आतंकी ढ़ेर हो गए। जब तीनों आतंकियों के शव श्रीनगर लाए गए, तो चार गवाहों ने उन्हें पहलगाम के हत्यारों के रूप में पहचाना। उनके पास से मिली एक M-9 अमेरिकी राइफल और दो AK-47 राइफलों की जांच चंडीगढ़ की CFSL लैब में की गई।
इन हथियारों से निकली गोलियों के खोल, पहलगाम के हमले वाली जगह से मिले खोलों से पूरी तरह मेल खाते हैं।
छह वैज्ञानिकों ने रात 4:46 बजे तक पुष्टि की कि ये गोलियां वहीं चली थीं।
पहले आतंकियों को भेजने वालों पर कार्रवाई हुई, और फिर हमला करने वालों को खत्म किया गया। गृह मंत्री ने सभी बलों की सराहना की और कहा कि ये सफलता पूरी तरह समर्पण, तकनीक, खुफिया नेटवर्क और बहादुरी का परिणाम है। पहलगाम हमले से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक पूरे घटनाक्रम की जानकारी संसद में रखी गई।